कोरोनावायरस से लड़ने के लिए केंद्र सरकार ने रविवार को राज्यों की कर्ज लेने की सीमा को 6.41 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर 10.68 लाख करोड़ रुपए कर दी। हालांकि केंद्र ने अधिक कर्ज लेने के लिए राज्यों पर कुछ शर्तें भी लगा दीं। इन शर्तों के तहत राज्यों को अधिक कर्ज लेने के लिए केंद्र द्वारा तय किए गए कुछ सुधारों को लागू करना होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण राज्यों की कर्ज सीमा को बढ़ाने की घोषणा रविवार को 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत पैकेज के पांचवें और अंतिम चरण का ब्योरा देते हुए की।
नई कर्ज सुविधा का पूरा ब्योरा संक्षेप में
क्या मिला :राज्यों को जीएसडीपी के दो फीसदी के बराबर अतिरिक्त कर्ज लेने की सुविधा। यह 4.27 लाख करोड़ रुपए के बराबर राशि है। यानी कर्ज सीमा 6.41 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 10.68 लाख करोड़ रुपए हो गई।
किसे मिला :केंद्र द्वारा निर्धारित शर्त का पालन करने वाले राज्यों को।
कैसे मिलेगा :हर राज्य कर्ज को 3 फीसदी से बढ़ाकर 3.5 फीसदी तक ले सकता है। इससे अधिक कर्ज लेने के लिए 4 शर्तें लगाई गई हैं। हर एक शर्त पूरी करने पर 0.25 फीसदी अधिक कर्ज लेने की सुविधा मिलेगी। कम से कम 3 शर्तों का पालन करने पर प्रोत्साहन के रूप में जीएसडीपी के 0.50 फीसदी के बराबर और कर्ज लेने की सुविधा मिलेगी।
क्या है समय सीमा :अधिक कर्ज लेने की सुविधा सिर्फ चालू कारोबारी साल के लिए ही है। चालू कारोबारी साल में भी जैसे जैसे राज्य शर्त पूरी करेंगे, वैसे-वैसे कर्ज लेने की अधिक सुविधा मिलती जाएगी।
राज्यों को इन 4 क्षेत्रों में सुधार करने होंगे
- वन नेशन वन राशन कार्ड
- ईज ऑफ डुइंग बिजनेस
- बिजली वितरण
- शहरी स्थानीय निकाय का राजस्व
कर्ज सीमा को जीएसडीपी के 3% से बढ़ाकर 5% फीसदी कर दिया गया
वित्त मंत्री ने राज्यों की कर्ज सीमा को ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीएसडीपी) के वर्तमान 3 फीसदी से बढ़ाकर 5 फीसदी कर दिया। यह बढ़ोतरी सिर्फ चालू कारोबारी साल 2020-21 के लिए ही की गई है। फिस्कल रिस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट कानून (एफआरबीएम) में राज्यों के कर्ज लेने की अधिकतम सीमा तय की गई है। इस सीमा से अधिक कर्ज लेने के लिए राज्यों को केंद्र से अनुमति लेनी होती है।
अधिक कर्ज लेने के लिए करना होगा शर्तों का पालन
अधिक कर्ज लेने के लिए राज्यों को सरकार द्वारा तय की गई शर्तों का पालन करना होगा। वित्त मंत्री के मुताबिक 0.5 फीसदी अधिक कर्ज लेने के लिए किसी शर्त का पालन जरूरी नहीं है। यानी बिना किसी शर्त का पालन किए राज्य अपनी कर्ज सीमा को वर्तमान 3 फीसदी से बढ़ाकर 3.5 फीसदी तक ले जा सकते हैं। इसके ऊपर एक फीसदी अधिक कर्ज लेने के लिए केंद्र ने शर्त लगा दी है। इसके तहत राज्यों को चार सुधार करने होंगे। हर सुधार के साथ राज्य को 0.25 फीसदी अतिरिक्त कर्ज लेने की सुविधा मिलेगी। इस तरह से सभी चार सुधार करने से राज्य 1 फीसदी अतिरिक्त कर्ज ले सकेंगे। इस तरह से शर्त पूरी करने वाले राज्य की कर्ज सीमा 3.5 फीसदी से और बढ़कर 4.5 फीसदी हो जाएगी। चार में से कम से कम 3 सुधार करने वाले को केंद्र प्रोत्साहन के तौर पर 0.5 फीसदी अतिरिक्त कर्ज लेने की सुविधा देगा। इस तरह से जो राज्य सभी चार सुधार कर लेंगे, उसकी कर्ज की सीमा 4.5 फीसदी से बढ़कर 5 फीसदी हो जाएगी। जो राज्य 3 सुधार पूरे करेंगे, उसकी कर्ज सीमा 4.25 फीसदी से बढ़कर 4.75 फीसदी पर पहुंच जाएगी।
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