नई दिल्ली। देश में सोमवार से तीसरे चरण का लॉकडाउन यानी कोरोना वायरस लॉकडाउन 3 ( Coronavirus Lockdown 3 ) शुरू होने जा रहा है। ऐसे में देश की इकोनॉमी में लगातार दबाव देखने को मिल रहा है। इसी दबाव को कम करने के लिए भारतीय उद्योग परिसंघ ( Confederation of Indian Industry ) की ओर से सरकार को सुझाव दिए हैं कि देश के प्रमुख आर्थिक जिलों में चार मई से शुरू हो रही संवर्धित लॉकडाउन अवधि के दौरान अधिक ढील मुहैया कराएं।
जारी की रिपोर्ट
'अ स्ट्रैटजी नोट ऑन रिजम्पशन ऑफ इकोनॉमिक एक्टिविटीज इन इंडस्ट्रियल एरियाज' नामक एक रिपोर्ट में उद्योग चैंबर ने कहा है कि इन जिलों में गतिविधियों को प्राथमिकता देने की लागत, इन कारोबारों के बंद रहने से होने वाले नुकसान से बहुत कम होगी। उद्योग चैंबर ने कहा है कि देश आर्थिक गतिविधियों के लिए धीरे-धीरे छूट देते हुए राष्ट्रीय स्तर पर इस महामरी से लड़ रहा है, ऐसे में भारी उद्योग और आर्थिक गतिविधि वाले जिलों को प्राथमिकता के आधार पर छूट देने की जरूरत है। ऐसा करके अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होने से बचाया जा सकता है।
इन क्षेत्रों में मिले छूट
रणनीतिक नोट में कहा गया है कि सीआईआई सुझाव देता है कि देश के टॉप आर्थिक जिलों में औद्योगिक क्लस्टर्स और अकेली औद्योगिक इकाइयों, जो इंडस्ट्रियल एस्टेट, सेज या इंडस्ट्रियल टाउनशिप के रूप में नहीं घोषित हैं, उन्हें भी संचालित करने की अनुमति के क्रम में एक अतिरिक्त छूट दी जाए। इस छूट के साथ जिलों को रेड से ऑरेंज और फिर ग्रीन में बदलने के लिए उपायों को भी सख्ती से लागू किए जाएं। सीआईआई ने लॉकडाउन जोन के वर्गीकरण के दौरान जिलों के आर्थिक योगदान को भी ध्यान में रखने की सलाह दी है। सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि उच्च आर्थिक गतिविधि वाले जिलों को, यहां तक की कंटेनमेंट जोन में भी, सभी औद्योगिक और कारोबारी संचालन को सर्वोच्च सुरक्षा प्रोटोकाल के साथ बहाल करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
फोकस्ड रणनीति की जरूरत
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा है कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के तीसरे चरण में कोविड-19 के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान को कम करने की एक फोकस्ड रणनीति की जरूरत है, और यहीं पर वायरस के नियंत्रण के प्रयासों के साथ भी किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए। भारी आर्थिक और औद्योगिक गतिविधि वाले जिलों को सख्त सावधानियों के साथ कामकाज शुरू करने की छूट देकर उद्यमों को वित्तीय रूप से स्वस्थ बने रहने में मदद की जा सकती है और साथ ही नौकरियों के खत्म होने से भी रोका जा सकता है।
No comments:
Post a Comment