सज्जन जिंदल बोले- कारोबारी जगत काम के नए तरीके खोजे, तभी अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी, वर्क फ्रॉम होम से गृहिणियों को मौके https://ift.tt/2L32bB1 - SAARTHI BUSINESS NEWS

Business News, New Ideas News, CFO News, Finance News, Startups News, Events News, Seminar News

Breaking

Home Top Ad

Responsive Ads Here

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Wednesday, May 6, 2020

सज्जन जिंदल बोले- कारोबारी जगत काम के नए तरीके खोजे, तभी अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी, वर्क फ्रॉम होम से गृहिणियों को मौके https://ift.tt/2L32bB1

कोरोनावायरस के कारण देश 42 दिन से लॉकडाउन में है। इससे लोगों की पर्सनल और प्रोफेशनल जिंदगी में काफी बदलाव आए हैं। कारोबार में भी इसका असर देखा जा रहा है। इसके मद्देनजर भास्कर ने देश के प्रमुख उद्योगपति और 14 बिलियन डॉलर यानी करीब 1.06 लाख करोड़ रुपए वाली कंपनी जेएसडब्ल्यू ग्रुप के चेयरमैन सज्जन जिंदल से बातचीत की। उनका कहना है कि हम वैक्सीन आने तक इंतजार नहीं कर सकते। वायरस आजीविकाओं के लिए खतरा न बने इसलिए न्यू नॉर्मल के भीतर ही काम करने के तरीके खोजने होंगे। बातचीत के प्रमुख अंश...

सवाल: कोरोना के बाद वर्क कल्चर में किस तरह के बदलाव की उम्मीद कर सकते हैं?
- लॉकडाउन ने दुनियाभर में बहुत सारे सेक्टरों के लोगों के लिए वर्क फ्रॉम होमको जरूरी कर दिया है। दूर से काम करने के दौरान कुशलता से कार्य करने की कर्मचारियों की क्षमता हमें भविष्य में कामकाज संबंधी लचीली पॉलिसी अपनाने पर जोर डालेगी। इससे ऐसा कामकाजी वातावरण बनेगा, जिसमें आने-जाने में होने वाली समय की बर्बादी खत्म होगी और उत्पादकता बढ़ेगी। जैसे-जैसे व्यवसाय जगत को घर से काम करने के वातावरण के सकारात्मक प्रभाव दिखने लगेंगे तो होममेकर्स(गृहिणियां) को भी नए अवसर मिलेंगे।

सवाल: आपके व्यवसाय पर शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म क्या असर होंगे और आपकी क्या योजना है?
- शॉर्ट टर्म की बात करें तो आर्थिक गतिविधियों में अत्यधिक कमी आई है। कमजोर मांग के कारण उपयोगिता घटी है और मार्जिन भी। नतीजा ये है कि मुनाफेकी स्थिति कमजोर हुई है। फिर खपत की शैली के स्तर पर मैं ग्राहकों के व्यवहार में भी बदलाव देखता हूं। इसका भी दूर तक असर जाएगा। ये जो अप्रत्याशित बदलाव आने वाले हैं, उनके लिए व्यवसाय जगत को भी कामकाज के गैर-परम्परागत तरीके खोजने होंगे। जिसे सरकारी नीतिगत कदमों के सहारे की भी जरूरत होगी, ताकि अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने को ‘वी’ आकार के ग्राफ की तीव्र रफ्तार दी जा सके। जहां तक लंबी अवधि के बदलाव की बात है तो सारे व्यवसायों को इस तरह के दौर लंबे समय तक सहने के लिए नकदी का पर्याप्त बफर निर्मित करने के साथ मजबूत बैलेंस शीट बनानी होगी।

अब तक तो व्यवसाय जगत इस तरह की लॉन्गटर्म उथल-पुथल के लिए कंटिंजेंसी प्लान (आकस्मिक योजनाएं) नहीं बनाता था। मुझे लगता है कि अब इस दिशा में बदलाव आएगा। जेएसडब्ल्यू ग्रुप में हम भी नए नियमों-परम्पराओं को अपना रहे हैं। हम बिल्कुल शुरू से अपने लागत आधार की पड़ताल कर रहे हैं और टेक्नोलॉजी, डिजिटलाइजेशन और इनोवेशन को दोबारा से देख रहे हैं ताकि सारी चुनौतियों से निपटा जा सके। मेरा मानना है कि हम पहले से अधिक मजबूत होकर इस संकट से बाहर आएंगे।

सवाल: सरकार ने कोरोना से निपटने के लिए जो कदम उठाए हैं उन्हें आप कैसे देखते हैं?
- सरकार ने संक्रमण के बढ़ते ग्राफ को नीचे लाने के लिए जो कदम उठाए हैं, वह काबिले तारीफ है। इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में शुरुआती स्तर पर सरकारी निवेश की बहुत जरूरत है। उद्योग जगत को किफायती ब्याज दरों पर कर्ज का प्रवाह सुनिश्चित हो। ज्यादातर विकसित देशों में कर्ज दरें जीरो के करीब है, जबकि भारत में अब भी यह करीब 10% है। रिजर्व बैंक ने कैश की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की है पर बैंक अभी भी जोखिम के खिलाफ ही हैं और उद्योगों खासतौर पर एमएसएमई को कर्ज नहीं दे रहे हैं। दुर्भाग्य से इसके कारण आर्थिक वापसी की रफ्तार धीमी हो जाएगी। अर्थव्यवस्था में तेज कैश फ्लो की तत्काल जरूरत है और इस बारे में प्राथमिकता के साथ कदम बढ़ाने होंगे।

सवाल: आपकी कंपनी पर कोरोना का क्या असर हुआ है? अपने सेक्टर को किस तरह देखते हैं?
- हमारे सेक्टर सहित व्यवसाय जगत पर असर के दो मुख्य बिंदु मुझे नजर आते हैं। एक, बहुत ही भरोसेमंद सप्लाई चेन अचानक अस्त-व्यस्त हो गई है और दूसरा विभिन्न बिजनेस प्रोसेसेस में अपेक्षाकृत ऑटोमेशन और डिजिटलाइजेशन की कमी है। मुझे लगता है कि इस अहसास के बाद सेक्टर इन दो चीजों को अपनाने की रफ्तार तेज करेगा। इससे ग्राहकों को गुणवत्तापूर्ण डिलीवरी देने की दिशा में सप्लाई चेन को सरल-सुगम बनाने, कार्यक्षमता सुधारने, उत्पादकता बढ़ाने और लागत घटाने में मदद मिलेगी। हालांकि, डिजिटलाइजेशन का मतलब लेबर फोर्स को हटाना नहीं, बल्कि यह ग्राहकों को गुणवत्तापूर्ण सेवा देने का वैकल्पिक तरीका है।

सवाल: इसने किस हद तक 2020-21 के लिए बिजनेस प्लान को बदला है?
- इस नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत ही वैश्विक स्तर पर उथल-पुथल लाने वाली रही है। मैं 2020-21 को लेकर आशावादी हूं। मुझे भरोसा है कि सेकंड हाफ के बाद अर्थव्यवस्था ‘वी’ ग्राफ की शैली में बहुत ही मजबूत वापसी करेगी। सरकारी नीतियां और वित्तीय पैकेज इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट को उभारने में अग्रणी भूमिका निभाएंगे। फिर हम अनुकूल मानसून, इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में अपेक्षित खर्च से अर्थव्यवस्था को मिलने वाले सहारे और बेहतर विदेशी पूंजी निवेश (कोविड-19 से निपटने में भारत के बेहतर प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में) की भी उम्मीद करते हैं।

सवाल: कोरोना के असर से उबरने के लिए आपकी कंपनी में कौन-से कदम उठाए जा रहे हैं?
- हमने अपने सारी प्लांट लोकेशन्स पर वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य विभिन्न एसओपी (मानक संचालन प्रक्रियाएं) को अपनाया है। इसके तहत सोशल डिस्टेंसिंग, व्यापक स्तर पर टेम्पेरेचर स्क्रीनिंग, कार्यस्थलों, टाउनशिप और लेबर कॉलोनियों का सैनिटाइजेशन, कर्मचारियों, कॉन्ट्रेक्ट वर्कर्स व जरूरत हो तो आगंतुकों के प्रवेश और बाहर जाने की कड़ी नियम प्रक्रिया शामिल है। हमने साल के शुरू से ही जीरो ट्रेवल पॉलिसी लागू कर दी है। जब तक इस नए वायरस का वैक्सीन नहीं खोजा जाता, हम सबको इस ‘न्यू नॉर्मल’ की सीमा में ही काम करने के तौर-तरीके खोजने होंगे। साथ ही संकट के बीच अवसरों की तलाश करनी होगी।

‘मैंने और परिवार ने स्क्रीन टाइम को सीमित कर दिया’
- प्रोफेशनल स्तर पर मुझे ‘न्यू नॉर्मल’ में काम करना पड़ रहा है। फिलहाल बच्चों व पोते-पोतियों सहित परिवार के साथ मिल रहे समय का आनंद ले रहा हूं। लॉकडाउन ने हमें एक-दूसरे के साथ बिताने के लिए बहुत वक्त दिया है। मेरे परिवार और मैंने इस वक्त को एक सूत्र में बांधा है- स्क्रीन टाइम (मोबाइल, टीवी, कम्प्यूटर) को सीमित कर एक्सरसाइज को प्राथमिकता दी है। मैंने अपने ग्रुप में विभिन्न टीमों को वैश्विक अपडेट रहने, हेल्दी दिनचर्या बिताने और सकारात्मकता बनाए रखने की दिशा में प्रोत्साहित किया है।

सवाल: सरकार ने कोरोना से निपटने के लिए जो कदम उठाए हैं उन्हें आप कैसे देखते हैं?
- सरकार ने संक्रमण के बढ़ते ग्राफ को नीचे लाने के लिए जो कदम उठाए हैं, वह काबिले तारीफ है। इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में शुरुआती स्तर पर सरकारी निवेश की बहुत जरूरत है। उद्योग जगत को किफायती ब्याज दरों पर कर्ज का प्रवाह सुनिश्चित हो। ज्यादातर विकसित देशों में कर्ज दरें जीरो के करीब है, जबकि भारत में अब भी यह करीब 10% है। रिजर्व बैंक ने कैश की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की है पर बैंक अभी भी जोखिम के खिलाफ ही हैं और उद्योगों खासतौर पर एमएसएमई को कर्ज नहीं दे रहे हैं। दुर्भाग्य से इसके कारण आर्थिक वापसी की रफ्तार धीमी हो जाएगी। अर्थव्यवस्था में तेज कैश फ्लो की तत्काल जरूरत है और इस बारे में प्राथमिकता के साथ कदम बढ़ाने होंगे।

सवाल: आपकी कंपनी पर कोरोना का क्या असर हुआ है? अपने सेक्टर को किस तरह देखते हैं?
- हमारे सेक्टर सहित व्यवसाय जगत पर असर के दो मुख्य बिंदु मुझे नजर आते हैं। एक, बहुत ही भरोसेमंद सप्लाई चेन अचानक अस्त-व्यस्त हो गई है और दूसरा विभिन्न बिजनेस प्रोसेसेस में अपेक्षाकृत ऑटोमेशन और डिजिटलाइजेशन की कमी है। मुझे लगता है कि इस अहसास के बाद सेक्टर इन दो चीजों को अपनाने की रफ्तार तेज करेगा। इससे ग्राहकों को गुणवत्तापूर्ण डिलीवरी देने की दिशा में सप्लाई चेन को सरल-सुगम बनाने, कार्यक्षमता सुधारने, उत्पादकता बढ़ाने और लागत घटाने में मदद मिलेगी। हालांकि, डिजिटलाइजेशन का मतलब लेबर फोर्स को हटाना नहीं, बल्कि यह ग्राहकों को गुणवत्तापूर्ण सेवा देने का वैकल्पिक तरीका है।

सवाल: इसने किस हद तक 2020-21 के लिए बिजनेस प्लान को बदला है?
- इस नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत ही वैश्विक स्तर पर उथल-पुथल लाने वाली रही है। मैं 2020-21 को लेकर आशावादी हूं। मुझे भरोसा है कि सेकंड हाफ के बाद अर्थव्यवस्था ‘वी’ ग्राफ की शैली में बहुत ही मजबूत वापसी करेगी। सरकारी नीतियां और वित्तीय पैकेज इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट को उभारने में अग्रणी भूमिका निभाएंगे। फिर हम अनुकूल मानसून, इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में अपेक्षित खर्च से अर्थव्यवस्था को मिलने वाले सहारे और बेहतर विदेशी पूंजी निवेश (कोविड-19 से निपटने में भारत के बेहतर प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में) की भी उम्मीद करते हैं।

सवाल: कोरोना के असर से उबरने के लिए आपकी कंपनी में कौन-से कदम उठाए जा रहे हैं?
- हमने अपने सारी प्लांट लोकेशन्स पर वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य विभिन्न एसओपी (मानक संचालन प्रक्रियाएं) को अपनाया है। इसके तहत सोशल डिस्टेंसिंग, व्यापक स्तर पर टेम्पेरेचर स्क्रीनिंग, कार्यस्थलों, टाउनशिप और लेबर कॉलोनियों का सैनिटाइजेशन, कर्मचारियों, कॉन्ट्रेक्ट वर्कर्स व जरूरत हो तो आगंतुकों के प्रवेश और बाहर जाने की कड़ी नियम प्रक्रिया शामिल है। हमने साल के शुरू से ही जीरो ट्रेवल पॉलिसी लागू कर दी है। जब तक इस नए वायरस का वैक्सीन नहीं खोजा जाता, हम सबको इस ‘न्यू नॉर्मल’ की सीमा में ही काम करने के तौर-तरीके खोजने होंगे। साथ ही संकट के बीच अवसरों की तलाश करनी होगी।

सवाल: कोविड-19 से उबरने के लिए भारत को किस तरह के रोडमैप की जरूरत है?
- हमें यह देखना चाहिए कि भारत टेक्सटाइल, लेदर, एग्रो प्रोसेसिंग, दवाई, आईटी, मेटल, माइनिंग खासतौर पर स्टील सहित सभी क्षेत्र में वैश्विक मैन्यूफैक्चरिंग हब बने। यह सरकार के साहसी नीतिगत कदमों और देशभर के बिज़नेस लीडर्स की ओर से प्रोएक्टिव एप्रोच यानी खुद सक्रियता से पहल करने से होगा। फिर चाहे कोई भी सेक्टर क्यों न हो और उद्योग कितना ही बड़ा-छोटा क्यों न हो।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
सज्जन जिंदल ने कहा- प्रोफेशनल स्तर पर मुझे न्यू नॉर्मल में काम करना पड़ रहा है। फिलहाल बच्चों व पोते-पोतियों सहित परिवार के साथ मिल रहे समय का आनंद ले रहा हूं।

No comments:

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages