इस साल गेहूं की बंपर पैदावार हुई है। इससे किसान खुश तो है लेकिन अब उसे अपनी फसल की बिक्री की चिंता सता रही है। ऊपर से खराब मौसम बार-बार किसानों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है। इससे किसानों को अपनी फसल बर्बाद होने का डर सता रहा है।
मंडियों में मजदूरों की कमी से नहीं हो रही खरीदारी
कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश में 25 मार्च से लॉकडाउन चल रहा है। इस कारण अधिकांश व्यावसायिक गतिविधियां ठप हो गई हैं। कामकाज ठप होने के कारण प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौट गए हैं। जो मजदूर अभी शहरों में रूके हुए हैं, वो बीमारी के डर से कामकाज से दूर हैं। इसका असर किसानों पर भी पड़ रहा है। अनाज मंडियों में मजदूरों की कमी है। इस कारण किसानों की फसल की खरीदारी नहीं हो पा रही है। पिछले सालों के मुकाबले इस बार मंडियों में मात्र 10 फीसदी मजदूर हैं जिससे किसानों को अपनी फसल बेचने में देरी हो रही है।
खराब मौसम बढ़ा रहा समस्या
मजदूरों की कमी के कारण मंडियों में फसल की कम खरीदारी हो पा रही है। इस कारण किसान अपनी फसल को मंडियों में खुले में डाल रहा है। लेकिन खराब मौसम किसानों की समस्या बढ़ा रहा है। बार-बार हो रही बूंदाबांदी से गेहूं में नमी बढ़ने की आशंका बनी हुई है। यदि गेहूं में नमी की मात्रा 14 फीसदी से ज्यादा हो जाती है तो इसकी अच्छी कीमत नहीं मिल पाती है। अगर गेहूं पूरी तरह से पानी में भीग गया तो यह पूरी तरह से बर्बाद हो सकता है।
100 मिलियन टन से ज्यादा गेहूं की पैदावार
इस बार मौसम का साथ मिलने से देश में गेहूं की बंपर पैदावार हुई है। आंकड़ों के मुताबिक इस बार देश में करीब 106 मिलियन टन गेहूं की पैदावर हुई है। गेहूं पैदावार के मामले में भारत केवल चीन से पीछे है। चीन में इस साल सर्दी की वैराइटी वाले 133.5 मिलियन टन गेहूं की पैदावार हुई है। यह पहला मौका है जब भारत में 100 मिलियन टन से ज्यादा गेहूं की पैदावार हुई है।
खरीद अवधि बढ़ाने पर विचार कर रहे आढ़ती
मजदूरों की कमी का कारण मंडियों में गेहूं की खरीद प्रभावित होने का असर आढ़तियों पर भी पड़ रहा है। यही कारण है कि आढ़ती ज्यादा से ज्यादा गेहूं की खरीदारी के लिए इस बार खरीद अवधि को पिछले वर्षों के मुकाबले 20 से 30 दिन बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। भारत में 7 हजार से ज्यादा थोक फूड मार्केट हैं जो 130 करोड़ से ज्यादा देशवासियों के लिए खाद्यान की आपूर्ति करते हैं।
फसल परिवहन में भी आ रही समस्या
देशव्यापी लॉकडाउन के कारण परिवहन पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है। इस कारण भी किसानों को अपनी फसल को मंडियों तक पहुंचाने में परेशानी हो रही है। वैसे तो किसानों को फसल परिवहन के लिए लॉकडाउन में छूट मिली हुई है लेकिन वाहनों की अनुपलब्धता, फसल की सफाई, पैकिंग, लोडिंग आदि के लिए मजदूर उपलब्ध न होने से किसानों की समस्या जस की तस बनी हुई है। यही कारण है कि किसानों को अपनी फसल को खुले आसमान के नीचे रखना पड़ रहा है।
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