देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपने खाताधारकों को इनकम टैक्स रिफंड मैसेज के खिलाफ चेतावनी दी है। बैंक ने अपने ग्राहकों को धोखाधड़ी के संदेशों के बारे में अलर्ट किया है। आयकर विभाग ने भी टैक्सपेयर्स को रिफंड का वादा करने वाले ‘फिशिंग’ (लालच देने वाले) ई-मेल और मेसेज के जाल से सावधान रहने की सलाह दी है।
एसबीआई ने किया ट्वीट
एसबीआई ने ट्वीट कर कहा है कि आयकर विभाग से कोई भी मैसेजमिला है, जिसमें आप से इनकम टैक्स रिफंड के लिए कोई प्रोसेस को फॉलो किया गया हो तो उस मैसेज को इग्नोर कर दें। क्योंकि वो फ्रॉड मेसेज है। एसबीआई नेग्राहकों से अनुरोध किया है की ऐसे फर्जी लिंक पर क्लिक नहीं करें और न ही किसी के साथ कोई व्यक्तिगत जानकारी साझा करें।
आयकर विभाग ने नहीं मांगी निजी जानकारी
आयकर विभाग ने ट्वीट कर कहा गया है कि टैक्सपेयर्स किसी भी फेक लिंक पर क्लिक न करें, जो रिफंड देने का वादा करता है। ये संदेश इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से नहीं भेजे गए हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ई-मेल के जरिए व्यक्तिगत जानकारी नहीं मांगता। आयकर विभाग पिन नंबर, पासवर्ड या क्रेडिट कार्ड, बैंक या अन्य वित्तीय खातों की जानकारी मांगने वाला ई-मेल नहीं भेजता है।
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सरकार ने जल्दी रिफंड देने को कहा
कोरोना संकट को देखते हुए सरकार ने आयकर विभाग को निर्देश जारी करते हुए जल्द से जल्द टैक्सपेयर्स को रिफंड देने को कहा है जिसके बाद आयकर विभाग की तरफ से टैक्सपेयर को ई-मेल भेजी जा रही है साथ ही अब तक 1.74 लाख मामलों में कंफर्मेशन के लिए मेल भेजे गए हैं।
क्या होता है रिफंड?
कंपनी अपने कर्मचारियों को सालभर वेतन देने के दौरान उसके वेतन में से टैक्स का अनुमानित हिस्सा काटकर पहले ही सरकार के खाते में जमा कर देती है। कर्मचारी साल के आखिर में इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते हैं, जिसमें वे बताते हैं कि टैक्स के रूप में उनकी तरफ से कितनी देनदारी है। यदि वास्तविक देनदारी पहले काट लिए गए टैक्स की रकम से कम है, तो शेष राशि रिफंड के रूप में कर्मचारी को मिलती है।
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