दुनियाभर की अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 का बेहद नकारात्मक असर पड़ा है। इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि वैश्विक जीडीपी वृद्धि दर में भारी कमी आ चुकी है। भारत में भी वृद्धि दर कम रहने की आशंका है। हालांकि भारत सकारात्मक वृद्धि दर देखने वाले चुनिंदा देशों में होगा।
राजीव बजाज, चेयरमैन और प्रबंध निदेशक बजाज कैपिटलकहते हैं किसकारात्मक आर्थिक प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की है, जो देश की जीडीपी का लगभग 10% है। ज्यादातर उपायों का उद्देश्य अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को तरलता प्रदान करना है और साथ ही साथ भारतीय व्यवसायों और देश को ज्यादा आत्मनिर्भर बनाना है।
इस साल की शुरुआत से ही गिरावट
2020 की शुरुआत से ही, देश का शेयर बाजार लगभग 20% तक नीचे चला गया है और इक्विटी म्युचुअल फंड निवेशक बेसब्री से तेज वापसी का इंतजार कर रहे हैं, जो बहुत हद तक इस पर निर्भर करेगा कि अर्थव्यवस्था में किस प्रकार की रिकवरी होगी और खपत से जुड़ी मांग वापस कितनी तेजी से आएगी।
आगे की राह भी हो सकती है उतार-चढ़ाव भरी
इस बीच, भारत में आरबीआई सहित दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने अर्थव्यवस्था में प्राण फूंकने के लिए राहत उपायों की घोषणा की है। आगे की राह उतार-चढ़ाव भरी हो सकती है, लेकिन सही योजना से, निवेशकों के लिए शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के अनुसार चलना आसान हो सकता है। यहां पर कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिनकी जानकारी हर निवेशक को होना जरूरी है, ताकि वे इस समय का सर्वोत्तम उपयोग कर सकें और दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों से भटकने से बच सकें।
पूंजी आवंटन को बनाए रखना लंबी अवधि में पैसा बनाने की कुंजी
सबसे अच्छे वित्तीय योजनाकारों ने बार-बार कहा कि पूंजी-आवंटन को बनाए रखना लंबी अवधि में पैसा बनाने की कुंजी है। इस समय यह स्पष्ट हो गया है क्योंकि इक्विटी पोर्टफोलियो में काफी गिरावट आई है। इक्विटी, डेट और थोड़ा बहुत सोने वाला संतुलित पोर्टफोलियो रखने वाले ही शेयर बाजार की मंदी के सामने टिक पाएंंगे।
विविधता को अपनाना
निवेश में विविधता सफलता की कुंजी है। अगर एक ही एसेट में पूंजी लगा रहे हैं तो उसमें भी निवेश को विविधता देनी चाहिए। शेयर बाजार का उदाहरण लें, तो अलग-अलग सेक्टर और शेयर में पैसे लगाने चाहिए। वर्तमान परिस्थितियों में नई लहर आने से पहले लार्ज-कैप और मिड-कैप फंड्स में पर्याप्त निवेश कर लेना चाहिए। देश के जोखिम से बचने के लिए निवेशक अंतर्राष्ट्रीय फंड्स पर भी विचार कर सकते हैं। सोना खरीदने गोल्ड फंड्स में निवेश किया जा सकता है।
और गिरावट का इंतजार न करें
शेयर बाजार के स्तर आकर्षक लग सकते हैं क्योंकि कुछ शेयरों में अभी 50% तक की गिरावट आ चुकी है। हालांकि, बाजार की चाल पकड़ने की कोशिश न करें, क्योंकि दुनियाभर के अच्छे से अच्छे निवेशक बाजार के सबसे निचले स्तर का पता लगाने में लगातार असफल रहे हैं। बेहतर यही है कि साप्ताहिक या मासिक एसटीपी (सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान) का चयन करें और अधिक गिरावट का इंतजार न करें क्योंकि मन-मुताबिक या प्रत्याशित गिरावट कभी नहीं आती है।
एसआईपी को जारी रखें
यदि आप कहीं इसको लेकर चिंतित है कि एसआईपी जारी रखें या नहीं, तो ये निर्णय लेना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है। बाजार अस्थिरता दिखा रहे हैं और जब भी बाजार गिरते हैं, निवेशकों को निवेश किए गए उतने ही पैसे में ज्यादा यूनिट्स मिलती है। जब बाजार वापस चढ़ता है तो इन यूनिट्स का मूल्य भी बढ़ता है। यदि आपके लक्ष्य दीर्घकालिक हैं तो मौजूदा बाजार एमएफ यूनिट्स को बनाए रखने की औसत लागत का शानदार अवसर दे रहा है।
बाहर निकलने की रणनीति
व्यक्ति को निवेश करते समय बाजार की चाल पकड़ने की कोशिश से बचना चाहिए। इक्विटी बाजारों से बाहर निकलते समय अपनी निकासी की योजना बनाना अहम होता है। आपका लक्ष्य आने के कम से कम तीन साल पहले फंड्स को इक्विटी से डेट फंड्स में शिफ्ट करते हुए जोखिम घटाने की प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए। ऐसे व्यक्तियों के लिए, जिनका लक्ष्य 2020 में पूरा हो रहा है, उन्हें जोखिम कम करने की रणनीति 2016-17 के आस-पास बनानी शुरू कर देनी चाहिए थी।
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