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Sunday, May 10, 2020

पत्रिका कीनोट सलोन में बोले महिंद्रा के एमडी और सीईओ पवन गोयनका- कोविड बाद ऑनलाइन होगी गाड़ियों की सेल्स https://ift.tt/2WGVgCH

नई दिल्ली। पत्रिका कीनोट सलोन में महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ पवन गोयनका ने कहा कि कोविड-19 लॉकडाउन से ऑटो इंडस्ट्री को गहरी चोट पहुंची है। हर रोज दो हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। यह वक्त महामारी से घबराने का नहीं है, बल्कि इसका मुकाबला करने का है। सूर्यास्त के बाद सूर्योदय होता है, उसी तरह हम भी बहुत जल्द इस अंधेरे से उजाले की ओर आएंगे। संभव है कि अगले दो से तीन महीने के भीतर हालात सामान्य होने लगेंगे। कोविड के बाद बहुत बदलाव देखने को मिल सकते हैं। गाड़ियों की बिक्री भी डिजिटल प्लेटफार्म से होते हुए ऑनलाइन हो सकती है। इसका सीधा फायदा ग्राहकों को मिलेगा। लेकिन कोई भी बदलाव एक रात में नहीं होता है, उसमें वक्त लगता है।

महिंद्रा के सीईओ पवन गोयनका शनिवार को पत्रिका कीनोट सलोन में पत्रिका के पाठकों और दर्शकों के सवालों का जवाब दे रहे थे। शो का मॉडरेशन शैलेंद्र तिवारी और पत्रिका के नेशनल मार्केटिंग हेड सौरभ भंडारी ने किया। पवन गोयनका ने कहा कि पोस्ट कोविड की वजह से डिमांड अगले दो तीन महीने तक कम रहेगी। लेकिन उसके बाद मांग तेजी से बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि अनावश्यक कॉस्ट को कम करने को लेकर कंपनियां लगातार बातचीत कर रहीं है। गाड़ियों की बिक्री के लिए कंपनियां अब डिजिटल प्लेटफॉर्म की दिशा में कदम रखने जा रही है। ऑनलाइन बिक्री की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इससे एक से डेढ प्रतिशत का फायदा सीधे ग्राहकों को मिलेगा।

वेतन और फंड के लिए पैकेज दे सरकार
पत्रिका कीनोट सलोन में सवालों के जवाब देते हुए पवन गोयनका ने बताया कि यह समय कठिन है, लेकिन इससे हमें जल्द बाहर निकलना होगा। इंडस्ट्री को रीबूट करने के लिए सरकार को एक पैकेज देने की आवश्यकता है। विशेषकर एमएसएमई और डीलर के लिए। यहां पर काम कर रहे लोगों को वेतन देने और क्रेडिट फंड बनाने के लिए सरकार जल्द से जल्द पैकेज की घोषणा करनी होगी, तभी इकोनॉमी का पहिया तेजी से घूम पाएगा।

रुरल इंडिया ऑटो इंडस्ट्री में फूंकेगी जान

पवन गोयनका ने बताया कि इस समय ऑटो सेक्टर इंडस्ट्री की कहीं से शुरुआत हो सकती है, तो वह है रुरल इंडिया। उन्होंने कहा कि कोविड का असर रुरल इंडिया या सेमी अर्बन शहरों में कम है। ऐसे में सेल्स की संभवाना बड़े शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा है। महिंद्रा कंपनी अपने ग्राहकों की डिमांड को ध्यान में रखकर इस समय काम कर रही है। ग्रामीण इलाकों में बोलेरो, स्कर्पियो, पिकअप जैसे ब्रांड की मांग है, ऐसे में हम उस पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। दूसरी गाड़ियों को मांग के आधार पर निर्णय लिया जाएगा। यही रणनीति दूसरी कंपनियां भी अपनाएंगी। ग्राहक की जरूरत को ध्यान में रखकर ही अभी प्रोडक्शन को आगे बढ़ाया जाएगा।

बड़ी गाड़ियों से नहीं छोटी गाड़ियों से निकलेगा रास्ता

उन्होंने कहा कि अप्रवासी मजदूर शहरों से गांव चले गए हैं। वह फिलहाल वहीं पर रहकर अपना जीविका शुरू करना चाहेंगे। ऐसे में टू या थ्री व्हीलर का बाजार खड़ा हो सकता है, क्योंकि हमारे नजरिए में यह मजदूर इस तरह की व्हीकल खरीदकर अपना कारोबार शुरू करेंगे। उससे भी ऑटो इंडस्ट्री को मजबूती मिलेगी। इंडस्ट्री फिलहाल बड़ी गाड़ियों पर अभी कम ध्यान देगी। हां, एक बात पूरी तरह से तय है कि आने वाले वक्त में सेफ्टी फीचर पर हम ज्यादा ध्यान रख रहे हैं।

जीडीपी के लिए इंडस्ट्री का खड़ा होना जरूरी

पवन गोयनका ने कहा कि कोविड-19 से डरने की जरूरत नहीं है। कोविड के दौरान सप्लायर, ग्राहक के साथ रिश्ते बनाए रखना बहुत जरूरी है। पिछले चार पांच सालों में इकोनॉमी में स्लोडाउन आता रहता है। लेकिन हर स्लोडाउन बहुत कुछ सीख देकर जाता है। 2019-20 में इंडस्ट्री 25 फीसदी गिरी है। इस लॉकडाउन ने भी हमें बताया है कि किस तरह हम अपने प्रोडेक्शन को धीरे-धीरे शुरू कर आगे बढ़ सकते हैं। अगर देश की जीडीपी को वापस खड़ा करना है तो उसके लिए जरूरी है कि आप इंडस्ट्री को सहयोग करें। अगर हम आगे जाएंगे तो देश आगे जाएगा।


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