इस साल दिसंबर तक ट्रैवल इंडस्ट्री में सुधार की उम्मीद नहीं, अगले सात-आठ माह इंडस्ट्री के लिए रहेगा मुश्किल समय, लॉकडाउन के बाद बदल जाएगा ट्रैवल का तरीका https://ift.tt/2yw7Z3b - SAARTHI BUSINESS NEWS

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Wednesday, May 6, 2020

इस साल दिसंबर तक ट्रैवल इंडस्ट्री में सुधार की उम्मीद नहीं, अगले सात-आठ माह इंडस्ट्री के लिए रहेगा मुश्किल समय, लॉकडाउन के बाद बदल जाएगा ट्रैवल का तरीका https://ift.tt/2yw7Z3b

कोविड-19 महामारी खत्म होने के बाद वैश्विक स्तर पर काफी कुछ बदलाव दिख सकता है। इस महामारी ने देश दुनिया की स्ट्रैटजी को बदल कर रख दिया है। इसने दुनिया को कितना बदला है, इसका अनुभव आप लाॅकडाउन खत्म होने के बाद कर सकेंगे। सोशल डिस्टेंसिंग के चलते इकाॅनोमी हैबिट्स हो या सोशल हैबिट्स, कुछ भी पहले की तरह नहीं रहेगा। जहां पहले से ज्यादा नियम और अनुशासन को फाॅलो करने होंगे। टूरिज्म, बिजनेस, ट्रैवल कुछ भी पहले की तरह नहीं रहेगा। लॉकडाउन के बाद जब चीजें नार्मल होंगी तो बहुत सी चीजों में परिवर्तन देखने को मिलेगा। हवाई यात्राएं भी इसमें शामिल होंगी।


कम होगी अंतरराष्ट्रीय यात्रा
टूरिज्म, बिजनेस, ट्रैवल कुछ भी पहले की तरफ नहीं रहेगा। वैश्विक स्तर पर इकोनाॅमी रिकवरी रेट बेहद स्लो रहेगी। दुनियाभर में आर्थिक मंदी रहेगी। लाॅकडाउन खुलने के बाद भी टूर एंड टूरिज्म सेक्टर को उबरने में कई माह लग जाएंगे। खासकर ऐसे क्षेत्र जो कि पूरी तरह टूरिज्म पर निर्भर है उनकी हालात पस्त हो सकती है। छोटे आइलैंड जिनकी इकोनाॅमी अंतराष्ट्रीय टूरिस्ट पर निर्भर होते हैं वो पूरी रह बर्बाद हो जाएंगे।


टूरिज्म इंडस्ट्री के रेवेन्यू पर कोविड-19 का प्रभाव इस तरह देख सकते हैं-
कोविड-19 महामारी का सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव टूरिज्म इंडस्ट्री पर पड़ा है। जनवरी के बाद से टूरिज्म इंडस्ट्री के रेवेन्यू में कमी देखी गई है। हालांकि दिसंबर तक रिकवरी की उम्मीद नहीं है।

स्त्रोत- वर्ल्ड इकोनाॅमी फोरम


नया होगा ट्रैवल का अनुभव
न्यू कुकलैंड स्थित पौराणिक आइलैंड की बात करें तो कोविड-19 के बाद यहां के निवासी "बाहरी लोगों" को संभावित ट्रोजन हॉर्स के रूप में देखते हैं। लाॅकडाउन के बाद यहां विमान से आने वाले टूरिस्ट को एजेंट्स हज़मत सूट में स्वागत करेंगे। देश में प्रवेश करने के लिए एक हेल्थ चेकअप जरूरी होगा। नकारात्मक रिजल्ट के बाद ही टूरिस्ट देश में प्रवेश कर सकेंगे। मौजूदा संकट के चलते देश-दुनिया में महामारी से लड़ने के नई रणनीति बनाई जाएगी। इसमें तीन बातों को शामिल किया जाएगा- रैडिकेशन, हार्ड इम्यूनिटी, सप्रेशन।


अप्रैल 2020 में 80 फीसदी उड़ानें दुनियाभर में रद्द हुईं
दुनिया भर में ज्यादा से ज्यादा लोगों को हवाई यात्रा का मौका और सुविधा देने वाली बजट एयरलाइंस खास तौर पर कोरोना महामारी के लॉकडाउन के बाद के हालातों को लेकर चिंता में हैं। ये पूरी तरह भर के चलने वाली एयरलाइंस होतीं थीं जो बमुश्किल कुछ मिनटों के लिए जमीन पर ठहरती थीं और फिर से यात्रियों से भरा विमान लेकर हवा में उड़ जाती थीं। आईएटीए के मुताबिक 2019 की तुलना में अप्रैल 2020 में 80 फीसदी उड़ानें दुनियाभर में रद्द हुईं।


कैसा होगा बजट एयरलाइन में सफर करना
महामारी के बाद बजट एयरलाइंस सोशल डिस्टेंसिंग के हालातों को लेकर चिंता में हैं। ये पूरी तरह भर के चलने वाली एयरलाइंस होतीं थीं जो बमुश्किल कुछ मिनटों के लिए जमीन पर ठहरती थीं और फिर से यात्रियों से भरा विमान लेकर हवा में उड़ जाती थीं। लेकिन अब यह इतना आसान नहीं होगा। न तो यात्रियों के लिए और न ही विमानन कंपनियों के लिए।


केबिन क्रू के साथ अलग अनुभव
क्रू प्रोटेक्टिव कपड़ों में होंगे, यात्री भी दस्ताने और मास्क पहनेंगे और क्रू हर आधे घंटे पर हैंड सैनिटाइजर बांटेगा। बिजनेस और फर्स्ट क्लास में पैकेज्‍ड और सील खाने के पैकेट मिलेंगे। फ्लाइट के दौरान भी स्टाफ टॉयलेट की सफाई का ख्याल रखेगा। कुल मिला कर हवाई यात्रा का अनुभव काफी बदलने वाला है।


धीमी बोर्डिंग प्रक्रिया
इसके अलावा एयरपोर्ट पर यात्रियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने के लिए उन्हें दूर दूर रहना होगा और बोर्डिंग की प्रक्रिया बहुत धीरे धीरे पूरी हो पाएगी। इस कारण भी विमानों को दूसरी उड़ान भरने के लिए तैयार होने में ज्यादा वक्त लगेगा।



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आईएटीए के मुताबिक 2019 की तुलना में अप्रैल 2020 में 80 फीसदी उड़ानें दुनियाभर में रद्द हुईं।

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