वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज के ब्रेकअप की जानकारी दी थी। इसमें छोटे व्यवसायों, रियल एस्टेट, संगठित क्षेत्र के वर्कर और अन्य लोगों के लिए कई सारी घोषणाएं की गईं। ऐसे में अब वित्त मंत्री ग्रामीण और शहरी गरीबों के साथ कृषि क्षेत्र पर फोकस कर सकती हैं। बाद में, मध्यम वर्ग को टैक्स में राहत दी जा सकती है। बता दें कि आज शाम 4 बजे वित्त मंत्रीप्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाली हैं।
सूत्रों के मुताबिक गुरुवार को होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में होने वाली घोषणाओं का फोकस कैश हैंगाउट और मुफ्त खाद्यान्न पर होगा। लॉकडाउन के शुरू होने के वक्त मार्च के अंत में सरकार द्वारा गरीबों के लिए जो घोषणाएं की गई थीं, ये उसका एक्सपेंडेड वर्जन होगा।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर अगला फोकस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंगलवार को घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के 'आत्मनिर्भर भारत' पैकेज पर चर्चा में शामिल एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, "एमएसएमई को लेकर काम पूरा हुआ। हमारा अगला फोकस गरीब और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर होगा। उसके बाद, मध्यम वर्ग के लिए और अन्य क्षेत्रों के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं।"
इन सेक्टर को हुआ सबसे ज्यादा नुकसान
वहीं एक अन्य अधिकारी ने कहा, "एक-एक करके हम सभी क्षेत्रों और स्टेकहोल्डर्स को कवर करेंगे। एक बार ऐसा करने के बादआपके पास इन उपायों को लेकर सरकार की रूपरेखा क्या होगी, इसकी बेहतर तस्वीर होगी।" कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित सेक्टर में हास्पिटैलिटी, टूरिज्म, एवीएशन, लोजिस्टिक्स, ई-कॉमर्स और ऑटोमोबाइल शामिल हैं।
मार्च की घोषणाओं को आगे बढ़ाएंगे
केंद्र सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि उत्पादों के भंडारण के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार के विकल्पों को देख रही है, जिसके लिए कुछ प्रकार के प्रोत्साहनों की घोषणा की जा सकती है। मार्च के आखिर में वित्त मंत्री सीतारमण ने तीन महीनों के लिए 800 मिलियन लोगों के लिए मुफ्त खाद्यान्न की घोषणा की थी। वहीं, मनरेगा के तहत मजदूरी में वृद्धि, महिला जन धन जमाकर्ताओं और आर्थिक रूप से पिछड़ी विधवाओं, पेंशनभोगियों और अलग-अलग विकलांगों को एकमुश्त भुगतान, उज्जवला योजना के लाभार्थियों के लिए अतिरिक्त मुफ्त सिलेंडर की घोषणा की थी। इन उपायों को बढ़ाए जाने की उम्मीद है। खासकर उन हजारों प्रवासियों के लिए जो शहरों को छोड़कर अपने गांव वापस चले गए हैं।
सूत्रों ने बताया कि किसानों के लिए पीएम-किसान योजना के तहत संवितरण में तेजी लाई जा सकती है। वहीं, ग्रामीण मजदूरों के लिए मनरेगा के तहत कार्यदिवस को बढ़ाकर 150 करने का मामला भी उठाया जा सकता है, ताकि प्रवासी मजदूरों को वापस काम पर लाया जा सके।
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