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Saturday, May 2, 2020

अब म्यूचुअल फंड कंपनियों को सभी अनलिस्टेड बांड्स में होल्डिंग्स की सेबी को देनी होगी जानकारी https://ift.tt/3f7RUkG

पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंड कंपनियों से अनलिस्टेड बांड्स और सिक्योरिटीज में किए गए निवेश की जानकारी मांगी है। बांड मार्केट के सुस्त हो जाने के कारण इसमें ट्रेड नहींहो पा रहा है। इसके अलावा फंड मैनेजर रिडेम्पशन के दबाव के चलते पैसा उगाहने के लिए या तो बिकवाली या फिर टॉप रेटेड लिक्विड पेपर्स को प्लेज करने की कोशिशों में लगें हैं।

31 मार्च तक अनलिस्टेड बांड्स में निवेश 15 प्रतिशत से ज्यादा नहीं

सेबी ने फंड उद्योग से अनलिस्टेड गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) में होल्डिंग्स के एयूएम का, विभिन्न अनलिस्टेड बांड्स में किये गए निवेश का और इन बांड्स स्कीम के शेयरों की जानकारी साझा करने को कहा है। पिछले साल म्यूचुअल फंड कंपनियों से यह कहा गया था कि अनलिस्टेड एनसीडी में निवेश की सीमा 31 मार्च 2020 तक 15 प्रतिशत की जाए। 30 जून 2020 तक इसे घटाकर 10 प्रतिशत तक लाया जाए। हालांकि जोखिम वाले बाजार में बांड की यील्ड बढ़ रहा है और इसलिए सेबी ने पिछले हफ्ते इस डेडलाइन को 6 महीने तक बढ़ा दिया है। म्यूचुअल फंड अब अगले 6 महीने तक इस सीमा में कटौती कर सकते हैं।

अनलिस्टेड एनसीडी की लिक्विडिटी में आ रही है गिरावट

पिछले कुछ महीनों में अनलिस्टेड एनसीडी की लिक्विडिटी में गिरावट आई है। क्योंकि म्यूचुअल फंड कंपनियों को इस तरह की सिक्योरिटीज और साथ ही साथ अनलिस्टेड कमर्शियल पेपर में निवेश पर एक अक्टूबर 2019 से प्रतिबंध लगा दिया गया था। फ्रैंकलिन टेंपल्टन की जिन 6 स्कीम्स को हाल में बंद किया गया, उनका अनलिस्टेड पेपर्स में 22 अप्रैल तक वैल्यू 32 प्रतिशत था।

अनलिस्टेड पेपर्स में निवेश ब्रेकअप मुहैया कराया जाए

एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एंफी) को भेजे गए पत्र में सेबी ने यह भी पूछा है कि अनलिस्टेड पेपर्स में स्कीम्स के पोर्टफोलियो का निवेश ब्रेकअप मुहैया कराया जाए। इसके साथ ही अन्य लिस्टेड सिक्योरिटीज जैसे स्टॉक्स, बांड्स और सीपी यानी कमर्शियल पेपर्स की भी जानकारी मांगी गई है। बता दें कि हाल में फ्रैंकलिन टेंपल्टन म्यूचुअल फंड की 6 डेट स्कीम्स बंद हो गई। इन सभी का एयूएम 28,000 करोड़ रुपए से अधिक था। इस वजह से निवेशकों का इसमें पैसा फंस गया है।



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सेबी के इस नए कदम का मकसद फंड कंपनियों के निवेश की पूरी जानकारी हासिल करना है।

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