मुंबई और ठाणे जिले में फैले 104 साल पुराने सहकारी बैंक सीकेपी बैंक का लाइसेंस भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रद्द कर दिया है। इससे 485 करोड़ रुपए की एफडी अधर में लटक गई है। यह बैंक 1915 में चालू हुआ था। इससे पहले हाल में पीएमसी बैंक में गड़बड़ी से खाताधारकों को परेशानी हुई थी। हालांकि इस पर अभी भी आरबीआई का प्रतिबंध चालू है।
बैंक में ग्राहकों की है 485 करोड़ रुपए कीएफडी
गुरुवार देर रात आरबीआई ने इस आशय की सूचना जारी की। लाइसेंस के रद्द होने से बैंक के करीब 11,500 जमाकर्ताओं-निवेशकों और सवा लाख के करीब खाताधारकों पर संकट खड़ा हो गया है।बैंक की 485 करोड़ रुपएकी एफडी भी अधर में अटक गई है। मुंबई के माटुंगा में इस बैंक का प्रमुख कार्यालय है और मुंबई तथा ठाणे जिले में इसकी कुल 8 शाखाएं हैं।
नेटवर्थ में बड़ी गिरावट से बैंक का लाइसेंस हुआ रद्द
आरबीआई के मुताबिक बैंक का घाटा बढ़ने और नेट वर्थ में बड़ी गिरावट आने के कारण बैंक के लेन-देन पर साल 2014 में प्रतिबंध लगाया गया था।उसके बाद इस प्रतिबंध को कई बार बढ़ाया गया। इस बार प्रतिबंध की अवधि 31 मई तक थी। इसे 31 मार्च को खत्म होने पर बढ़ाया गया था। पर बैंक की हालत में सुधार न होने पर आरबीआई ने उससे पहले ही कदम उठा लिया। कई बार बैंक का घाटा कम करने का प्रयत्न किया गया। इसके लिए निवेशकों-जमाकर्ताओं ने भी प्रयत्न किया था। इन्होंने ब्याज दर में कटौती की थी। ब्याज दर 2 प्रतिशत तक लाई गई थी।
साल 2016 में बैंक का नेटवर्थ 146 करोड़ रुपए था
कुछ लोगों ने अपने एफडी को शेयर में निवेश कर लिया था और कुछ हद तक उसके परिणाम भी दिखाई देने लगे थे। बैंक का घाटा कम हो रहा था। ऐसे में आरबीआई ने सीकेपी बैंक का लाइसेंस रद्द करके निवेशकों को बड़ा झटका दिया है। सीकेपी बैंक के नेट वर्थ में गिरावट इसके लाइसेंस रद्द करने का कारण बना। साल 2016 में बैंक की नेटवर्थ 230करोड़ रुपएथी।वह अब 146करोड़ रुपएपर पहुंच गई है।
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