पूंजी के संकट से जूझ रहे यस बैंक 10,000 करोड़ रुपए जुटाने की योजना बना रहा है। खबर है कि बैंक इसके लिए राइट्स इश्यू, क्वालीफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) या फिर फॉलोऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) का सहारा ले सकता है। तीनों स्थितियों में बैंक शेयर बेचकर ही पूंजी जुटा पाएगा। इसके लिए बैंक ने 6 इनवेस्टमेंट बैंकर्स की नियुक्ति की है।
एसबीआई कैपिटल, कोटक महिंद्रा कैपिटल का समावेश
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक प्राइवेट सेक्टर के इस बैंक ने शेयरों की बिक्री के जरिए पूंजी जुटाने के अपने पहले कदम के तहत 6 इन्वेस्टमेंट बैंकर्सको नियुक्त किया है। इसमें एसबीआई कैपिटल, कोटक महिंद्रा कैपिटल और एक्सिस सिक्योरिटी का समावेश है। बता दें कि यस बैंक में एसबीआई सबसे बड़ा हिस्सेदार है। एसबीआई कैपिटल इसी की सब्सिडियरी है जो मर्चेंट बैंकिंग का काम करती है। यही इस योजना की अगुवाई कर रही है। इसके अलावा कोटक महिंद्रा कैपिटल और एक्सिस सिक्योरिटी इस प्रक्रिया में शामिल हैं। इन दोनों की पैरेंट कंपनियों की यस बैंक में हिस्सेदारी है।
इस साल बैंक को 4,000 करोड़ की पूंजी जुटाना अनिवार्य
आरबीआई के नियमों केपालन को सुनिश्चित करने के लिए यस बैंक को इस साल 4,000 करोड़ रुपए की पूंजी जुटानी होगी। सूत्रों के मुताबिक इन घरेलू इनवेस्टमेंट बैंकों के अलावा एचएसबीसी, बैंक ऑफ अमेरिका और सिटी बैंक को भी पूंजी जुटाने में शामिल किया गया है। हालांकि किस तरीके से पूंजी जुटाई जाएगी यह वैल्यूएशन पर निर्भर करेगा। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए 5 जून को इनवेस्टमेंट बैंकर्सकी बैठक होगी। इस बात की बहुत कम संभावना है कि इस महीने में कोई बिक्री होगी, क्योंकि इसके लिए बहुत ज्यादा कागजी कार्रवाई की जरुरत होती है।
मार्च महीने में बैंक की डिपॉजिट ज्यादा घटी
बता दें कि आरबीआई ने बैंक को मोरिटोरियम में रख दिया है। क्योंकि मार्च महीने में यस बैंक से डिपॉजिट्स में ज्यादा निकासी हुई। साथ ही बैंक की फंड जुटाने में योजना भी सफल नहीं हो पाई। जिसके बाद आरबीआई को यह फैसला लेना पड़ा। यस बैंक के प्रमोटर राणा कपूर द्वारा डीएचएफएल और अन्य संस्थानों को दिए गए लोन के कारण बैंक मुश्किल में आ गया था। जिसके बाद आरबीआई ने इसे अपने नियंत्रण में लिया और बाद में एसबीआई ने ज्यादा हिस्सेदारी खरीद कर अपने नियंत्रण में कर लिया।
एसबीआई की 48.21 प्रतिशत हिस्सेदारी है
बैंक में एसबीआई की हिस्सेदारी 48.21 फीसदी है। इसके अलावा कोटक महिंद्रा बैंक की 3.61 फीसदी और एक्सिस बैंक की 4.78 फीसदी हिस्सेदारी है। सरकार द्वारा 10,000 करोड़ रुपए का बेल आउट पैकेज देने के बावजूद यस बैंक को और अधिक पूंजी की जरूरत है। इसके अतिरिक्त टियर-1 बांड के 8,415 करोड़ रुपए के राइट ऑफ से यस बैंक को तीन महीनों में 31 मार्च तक 2,629 करोड़ रुपए का नोशनल नेट प्रॉफिट देने में मदद मिली। राइट डाउन से बैंक को तिमाही में 3,668 करोड़ रुपए के शुद्ध नुकसान को बताना पड़ता था।
मार्च के अंत में 1.02 लाख करोड़ रही डिपॉजिट
मार्च 2020 में ग्रॉस एनपीए के साथ बैंक की असेट क्वालिटी एक साल पहले 3.22 प्रतिशत से बढ़कर 16.80 प्रतिशत हो गई है। बैंक के डिपॉजिट बेस में लगातार कमी होती रही। मार्च के अंत में 1.05 लाख करोड़ रुपए से डिपॉजिट घटकर 2 मई को 1.02 लाख करोड़ रुपए हो गई। यह इस बात का संकेत देती है कि 18 मार्च को नए प्रबंधन ने बैंक पर जमाकर्ताओं के सेंटीमेंट पर कोई प्रभाव नहीं डाला है। एक जानकार ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि निवेशक इस मुद्दे पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं।
बैंक के शेयर की कीमत भी अच्छी नहीं है। अगर हम पैसे जुटाने के लिए सबसे तेज तरीके क्यूआईपी का उपयोग किया जाता है तो हम एक प्रीमियम से ज्यादा चार्ज नहीं कर सकते। एफपीओ हमें प्रीमियम चार्ज करने की अनुमति देगा, लेकिन चूंकि यह एक सार्वजनिक मुद्दा है इसलिए इसे अधिक समय और अनुपालन (compliance) की आवश्यकता होगी। इसलिए अपने अन्य विकल्पों को भी तलाशना होगा।
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