खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार ने बांस पर इंपोर्ट डयूटी को 10 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी करने का फैसला किया है। सरकार के इस फैसले से अगरबत्ती इंडस्ट्री में अगले 8 से 10 महीनों में 1 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी। केवीआईसी के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि सरकार के इस फैसले से अगरबत्ती के साथ बांस इंडस्ट्री को भी मजबूती मिलेगी।
स्थानीय इंडस्ट्री के ग्रोथ के लिए बढ़ाई इंपोर्ट ड्यूटी
केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने आयात को कम करने और स्थानीय इंडस्ट्री की ग्रोथ के लिए एक पहल शुरू की है। इसी पहल के तहत वित्त मंत्रालय ने हाल ही में बांस के आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई है। भारत में चीन और वियतनाम से बांस का आयात होता है। इससे भारत में स्थानीय स्तर पर रोजगार का नुकसान होता है। इंपोर्ट ड्यूटी में बढ़ोतरी से मांग की आपूर्ति के लिए नई अगरबत्ती मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स की स्थापना का मार्ग तैयार होगा।
मांग के मुकाबले उत्पादन नहीं
देश में अगरबत्ती का मांग के मुकाबले उत्पादन नहीं हो पा रहा है। अगरबत्ती की खपत बढ़कर 1490 टन प्रतिदिन पर पहुंच गई है। लेकिन स्थानीय स्तर पर केवल 760 टन प्रतिदिन का उत्पादन हो रहा है। मांग और उत्पादन के इस भारी अंतर के कारण रॉ अगरबत्ती का बड़े पैमाने पर आयात होता है। केवीआईसी के अनुसार, 2009 में जहां केवल 2 फीसदी रॉ अगरबत्ती का आयात होता था, वहीं 2019 में यह बढ़कर 80 फीसदी हो गया है। रुपयों के मामले में रॉ अगरबत्ती का आयात 2009 के 31 करोड़ के मुकाबले 2019 में 546 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है।
2011 में इंपोर्ट ड्यूटी घटने से घरेलू इंडस्ट्री को नुकसान
केवीआईसी का कहना है कि 2011 में यूपीए सरकार ने इंपोर्ट ड्यूटी को 30 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया था। इससे घरेलू अगरबत्ती उत्पादकों के सामने मुश्किल खड़ी हो गई थी। इसका नतीजा यह निकला कि करीब 25 फीसदी अगरबत्ती मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स बंद हो गई थीं। केवीआईसी ने दावा किया कि उसके आग्रह पर 31 अगस्त 2019 को वाणिज्य मंत्रालय ने अगरबत्ती के आयात को प्रतिबंधित श्रेणी में शामिल कर लिया था।
भारत बांस का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश
भारत बांस उत्पादन में पूरी दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इसके अलावा भारत बांस और इससे जुड़े उत्पादोंके आयात के मामले में भी दूसरे स्थान पर है। भारत में हर साल 14.6 मिलियन टन बांस का उत्पादन होता है। इस काम से करीब 70 हजार किसान जुड़े हैं और बांस की 136 घरेलू किस्मों का उत्पादन होता है। 2018-19 में भारत में 210 करोड़ रुपए की बांस स्टिक का आयात हुआ था जो 2019-20 में बढ़कर 370 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। विनय सक्सेना ने कहा कि ड्यूटी में बढ़ोतरी से चीन से होने वाले आयात में कमी आएगी और स्थानीय उत्पादकों को बढ़ावा मिलेगा।
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