देशव्यापी लॉकडाउन के कारण काफी नुकसान झेलने के बाद कई कंपनियों ने अपने ऑफिस का किराया कम करने की कोशिश शुरू कर दी है। इन कंपनियों में देश की प्रमुख एप आधारित टैक्सी सेवा कंपनियां, फूड डिलीवरी कंपनियां, आतिथ्य क्षेत्र की कंपनियां और मिड स्टेज की स्टार्टअप कंपपनियां भी शामिल हैं। कंपनियों के अधिकारियों और रियल एस्टेट डेवलपर्स के मुताबिक कंपनियां अपने किराए में औसतन एक तिहाई की कमी करना चाह रही हैं।
कंपनियां रेंट एग्रीमेंट, रीन्यूएबल्स क्लाउजेज और किराया बढ़ोतरी जैसे मुद्दों पर फिर से निगोशिएशन कर रहीं
उन्होंने कहा कि ओयो, पेटीएम, ओला, स्विगी, उबर व कई अन्य कंपनियों ने बिल्डर्स से संपर्क कर देशभर के लिए अपने रेंटल एग्रीमेंट, रीन्यूएबल्स क्लाउजेज और किराया बढ़ोतरी से जुड़े मुद्दों पर फिर से निगोशिएशन किया है। कंपनियां ऑफिस का तल खाली कर देने, कार्यालयों की संख्या घटाने, क्षेत्रीय कार्यालयों को बंद कर देने और इस तरह के कई दूसरे उपायों पर भी विचार कर रही हैं। कंपनियां इस तरह के उपायों के जरिये लंबी अवधि के लिए अपनी निश्चित लागत में कटौती करना चाहती हैं।
कोरोनावायरस ने व्यावसायिक रियल एस्टेट के उपयोग को प्रभावित किया है
आयो के एक प्रवक्ता ने कहा कि कोरोनावायरस ने व्यावसायिक रियल एस्टेट के उपयोग को प्रभावित किया है। फ्लेक्सिबल कोवर्किंग और वर्क फ्रॉम होम भविष्य का मॉडल होने जा रहा है। कम से कम छोटी से मध्यम अवधि में यही स्थिति रहने वाली है। उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी देशभर में लैंडलॉर्ड्स से किराया को लेकर निगोशिएशन कर रही है। कुछ अन्य लोगों ने बताया कि इस तरह का निगोशिएशन कई ऐसी कंपनियां भी कर रही हैं, जो अभी कारोबार की शुरुआती अवस्था में है और जिनके कर्मचारियों की संख्या 50-150 है।
कई कंपनियों ने बड़े टेक पार्क्स और रियल एस्टेट मालिकों से चर्चा कर ली हैं
एक कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कोरोनावायरस महामारी ने कई स्टार्टअप्स की आय को प्रभावित किया है। वे अब अपने कारोबार की लागत पर फिर से विचार कर रहे हैं। वे किराया और कांट्र्रैक्ट पर फिर से निगोशिएशन कर रहे हैं। कई कंपनियों ने बड़े टेक पार्क्स और रियल एस्टेट मालिकों से चर्चा कर भी ली है। इस तरह के निगोशिएशन की सफलता कई पहलुओं पर निर्भर करेगी। इनमें लॉक-इन-पीरियड, प्रमुख क्लाउज और बिल्डर की वित्तीय स्थिति शामिल हैं।
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