नई दिल्ली केंद्रीय गृह सचिव ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने चीनी दूरसंचार कंपनियों को भारत में 5जी के ट्रायल में प्रवेश करने की अनुमति देने के बारे में कोई फैसला नहीं किया है, लेकिन साथ ही स्वीकार किया कि मौजूदा नेटवर्क में पड़ोसी देश की पैठ बेहद व्यापक है। भल्ला ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार देश के संचार नेटवर्क की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष सुरक्षा उपाय कर रही है। 5जी को लेकर अभी कोई फैसला नहीं उन्होंने 'नेशनल डिफेंस कॉलेज' द्वारा आयोजित डायमंड जुबली वेबिनार में कहा, '5जी को लेकर सरकार ने कोई भी निर्णय नहीं किया है। चर्चा अभी भी जारी है...कब इसकी अनुमति दी जाएगी और किन लोगों को अनुमति दी जाएगी। बिंदु बहुत जायज है। मौजूदा दूरसंचार हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की पैठ बेहद व्यापक है।' वह भारत के 5जी ट्रायल में चीन की टेलीकॉम कंपनियों के शामिल होने के बारे में एक सवाल का उत्तर दे रहे थे। गृह सचिव ने कहा कि भारत को जब तक कोई विकल्प नहीं मिल जाता, मौजूदा सुविधाओं को अचानक बंद नहीं किया जा सकता है। हमारे पास फिलहाल विकल्प नहीं उन्होंने कहा, 'जब तक हमारे पास कोई विकल्प उपलब्ध नहीं होता है, हम ऐसे ही बंद नहीं कर सकते और यह नहीं कह सकते कि इसे अनुमति नहीं दी जाएगी। सरकार निश्चित रूप से विशेष सुरक्षा उपाय कर सकती है और देश की संचार प्रणाली की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती है। हम वह कर रहे हैं और हम उसे विकसित कर रहे हैं और हम निश्चित रूप से इससे निपटने में सक्षम होंगे।' अमेरिका ने पर लगाया है प्रतिबंध अमेरिका ने दूरसंचार उपकरण में अग्रणी एवं दुनिया के नंबर दो स्मार्टफोन निर्माता हुआवे पर प्रतिबंध लगा दिया है। अमेरिका ने यह प्रतिबंध सुरक्षा चिंताओं को लेकर लगाया है और वाशिंगटन अन्य देशों पर चीनी दूरसंचार कंपनी के संचालन को प्रतिबंधित करने के लिए दबाव डाल रहा है। भारत को अभी इस निर्णय करना है कि क्या वह हुआवे पर अंकुश लगाने का इरादा रखता है या चीनी दूरसंचार उपकरण निर्माता को आगामी 5जी के परीक्षणों में भाग लेने की अनुमति देगा। सुरक्षा का मुद्दा सबसे अहम दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इससे पहले कहा था कि 5जी ट्रायल में हुआवे को भाग लेने की अनुमति देने को लेकर भारत के अपने सुरक्षा मुद्दे हैं। उन्होंने कहा था, 'हम इस पर ठोस रुख अपनाएंगे। सुरक्षा के मुद्दे भी हैं...जहां तक 5जी में उनकी भागीदारी का संबंध है, यह केवल प्रौद्योगिकी का मामला नहीं है...किसी विशेष कंपनी को भाग लेने की अनुमति है या नहीं, एक जटिल सवाल है, जिसमें सुरक्षा के मुद्दे भी शामिल हैं।'
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