कांत ने प्रतिस्पर्द्धा कानून पर आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि रेल परिसंपत्तियों के प्रति निजी क्षेत्र तभी आकर्षित होगा जब उसे तयशुदा रिटर्न मिले। लिहाजा किसी भी परिसंपत्ति मौद्रीकरण सौदे की सफलता के लिए परियोजना की अच्छी संरचना अहम है।
उन्होंने कहा, "साफ है कि निजी क्षेत्र को ट्रेन संचालन की अनुमति देने वाली परियोजना का खाका ठीक से नहीं बनाया गया था और इसने निजी क्षेत्र के बढ़िया प्रतिभागियों को आकर्षित नहीं किया। इसके अलावा आईआरसीटीसी भी इन ट्रेन के लिए बोली लगा रहा था।"
नीति आयोग के सीईओ ने कहा, "पुरानी योजनाओं की बनावट में खासी गड़बड़ी थी। इस वजह से ट्रेन और रेलवे स्टेशन दोनों के ही मौद्रीकरण पर अब नए सिरे से गौर किया जा रहा है। रेल मंत्रालय इसकी समीक्षा करने के बाद अगले कदम के बारे में कोई फैसला करेगा।"
कांत ने कहा कि इस समीक्षा प्रक्रिया में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी शामिल हैं।
उन्होंने छह लाख करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्ति मौद्रीकरण योजना के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इस पाइपलाइन में शामिल सभी परिसंपत्तियों में राजस्व जुटाने की अच्छी संभावनाएं हैं।
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