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Monday, March 7, 2022

NSE Fraud case: एनएसई फ्रॉड केस में गिरफ्तार हुईं चित्रा रामकृष्‍ण, हाल ही में खारिज की गई थी अग्रिम जमानत याचिका https://ift.tt/J1hHsKa

नई दिल्ली: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramkrishna) की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। सीबीआई ने उन्हें एनएसई को-लोकेशन मामले में गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले विशेष सीबीआई अदालत ने को-लोकेशन मामले में उनकी अग्रिम जमानत याचिका आज खारिज कर दी थी। चित्रा पर हिमालय के एक कथित योगी के इशारे पर काम करने और संवेदनशील जानकारी साझा करने का आरोप है। सीबीआई ने उनकी जमानत का विरोध किया था। अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद से ही इस बात की पूरी उम्मीद थी कि वह कभी भी गिरफ्तार हो सकती हैं। सीबीआई ने हाल ही में एनएसई के पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (जीओओ) आनंद सुब्रमण्यम को चेन्नई से गिरफ्तार किया था। माना जा रहा है कि हिमालय का योगी कोई और नहीं बल्कि आनंद सुब्रमण्यम ही हैं। सुब्रमण्यम पर एनएसई के कामकाज में दखल देने का आरोप है। वह एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण को सलाह दिया करते थे और वह उनके इशारे पर काम किया करती थीं। सुब्रमण्यम छह मार्च तक सीबीआई की कस्टडी में हैं। सीबीआई ने बढ़ाया जांच का दायरा सुब्रमण्यम एनएसई में चित्रा के सलाहकार रहे। सीबीआई ने पिछले हफ्ते एनएसई को-लोकेशन मामले में जांच का दायरा बढ़ाया था। सीबीआई ने इस मामले में 2018 में मामला दर्ज किया था। मई 2018 में दर्ज एफआईआर में चित्रा का नाम आरोपियों में शामिल नहीं था। लेकिन इसमें एनएसई और सेबी के कुछ अज्ञात अधिकारियों को आरोपी बनाया गया था। एफआईआर में आपराधिक साजिश और सबूत मिटाने के आरोप लगाए गए थे। साथ में घूसखोरी और पद का दुरुपयोग की भी बात थी। सेबी ने आरोप लगाया था कि चित्रा रामकृष्ण ने एनएसई से जुड़ी गोपनीय जानकारी अज्ञात व्यक्ति के साथ साझा की थी। इसमें एनएसई के पांच साल के वित्तीय अनुमान, डिविडेंट पेआउट रेश्यो, एक्सचेंज का बिजनस प्लान और एनएसई के बोर्ड मीटिंग का एजेंडा शामिल है। चित्रा रामकृष्ण ने सेबी के समक्ष अपनी सफाई में कहा था कि यह अज्ञात व्यक्ति एक योगी है जो हिमालय में रहता है। सेबी ने इस मामले में अपना 190 पेज का ऑर्डर शुक्रवार को जारी किया था। चित्रा रामकृष्ण अप्रैल, 2013 से दिसंबर, 2016 तक एनएसई की एमडी और सीईओ रही थीं। कौन है हिमालयी योगी? 2013 में चित्रा ने आनंद सुब्रमण्यम को चीफ स्ट्रेटजी ऑफिसर नियुक्त किया था जबकि इससे पहले ऐसी कोई पोस्ट नहीं थी। सुब्रमण्यम Balmer Lawrie में काम कर रहे थे जहां उनका सालाना पैकेज 15 लाख रुपये था। लेकिन एनएसई में 1.38 करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया। बाद में वह एनएसई में ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर बन गए थे। NSE के पूर्व चेयरमैन अशोक चावला ने सेबी को पत्र लिखकर कहा था कि चित्रा जिस हिमालयी योगी की बात कर रही हैं, वह कोई और नहीं बल्कि आनंद सुब्रमण्यम हो सकते हैं। आनंद को एक अप्रैल 2013 को एनएसई में नियुक्त किया गया और उसी दिन उनकी पत्नी सुनीता आनंद को भी 60 लाख रुपये के पैकेज पर चेन्नई के क्षेत्रीय कार्यालय में बतौर सलाहकार नियुक्त किया गया था। कुछ समय बाद पति-पत्नी के पैकेज में भारी तब्दीली आई। सुनीता आनंद की सैलरी मात्र तीन साल में करीब तिगुनी बढ़कर 2016 तक 1.33 करोड़ रुपये हो गई। एक अप्रैल 2013 से 31 मार्च 2014 तक सुनीता की सैलरी 60 लाख रुपये, एक अप्रैल 2014 से 31 मार्च 2015 तक 72 लाख रुपये, अप्रैल 2015 से मार्च 2016 तक 1.15 करोड़ रुपये और अप्रैल 2016 से 1.33 करोड़ रुपये थी। क्या है को-लोकेशन का मामला? यह मामला कुछ ब्रोकरों को एनएसई की को-लोकेशन सुविधा के जरिए सूचना के मामले में तरजीह देने से जुड़ा है। इसके तहत कुछ ब्रोकरों को कथित रूप से लॉगिन और डार्क फाइबर तक जल्दी पहुंच की सुविधा उपलब्ध थी। डार्क फाइबर के तहत ब्रोकरों को एक्सचेंज के आंकड़े सेकेंड के कुछ हिस्से पहले ही मिल जाते थे। ब्रोकरों को जल्दी सूचना मिलने से उन्हें अच्छा खासा लाभ हो सकता है।


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