कोविड-19 की वजह से इंडस्ट्री पर आर्थिक दबाव का असर जून के बाद तक रहने की आशंका है। इंडस्ट्री बॉडी एसोचैम और प्राइमस पार्टनर्स के सर्वे में ये बात सामने आई है। सर्वे के मुताबिक कंपनियां निवेश की योजनाओं को टालने या रद्द करने का विचार कर रही हैं। हालांकि, छंटनी करने वाली कंपनियों की बजाय मैनपावर बनाए रखने को प्राथमिकता देने वाली कंपनियों की संख्या ज्यादा है।
लॉकडाउन की वजह से सप्लाई चेन प्रभावित
इस सर्वे में छोटी, मध्यम और बड़ी इंडस्ट्री को शामिल किया गया। इनमें मैन्युफैक्चरिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सर्विसेज सेक्टर भी शामिल हैं। हर सेगमेंट से 3,552 लोग इस सर्वे में शामिल किए गए। 79 फीसदी लोगों का कहना है कि कोविड-19 का आर्थिक असर अप्रैल-जून तिमाही के बाद तक रहेगा। क्योंकि, लॉकडाउन की वजह से सप्लाई चेन प्रभावित हुई है।
महामारी का इलाज मिलने तक चुनौतियां रहेंगी
सर्वे में शामिल लोगों का कहना है कि तीन मई से लॉकडाउन खुलने की उम्मीद है। हालांकि, कुछ राज्यों में कड़े प्रतिबंध जारी रह सकते हैं। जब तक कोविड-19 का इलाज नहीं मिल जाता इंडस्ट्री के सामने बड़ी चुनौतियां बनी रहेंगी। एसोचैम के महासचिव दीपक सूद का कहना है कि भारत के कोविड-19 से कम प्रभावित होने की उम्मीद है। यहां की युवा आबादी, हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर में इजाफा और देशव्यापी लॉकडाउन जैसी वजहों से फायदा होगा।
26% का कहना है कि मैनपावर कम की जा सकती है
सर्वे के मुताबिक 33% कंपनियों को वर्किंग कैपिटल की कमी होने की चिंता है। 78% का कहना है कि अप्रैल-जून तिमाही के बिजनेस रेवेन्यू पर सबसे ज्यादा असर होगा। आगे की तिमाहियों में भी फर्क पड़ेगा। 36% कंपनियों का कहना है कि मैनपावर में कमी नहीं की जाएगी क्योंकि, इकोनॉमी को आगे बढ़ाने के लिए लोगों की जरूरत होगी। 26% का कहना है कि मैनपावर में कमी की जा सकती है।
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