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Thursday, April 23, 2020

ओयो, ओला, उबर जैसी कंपनियों के लिए खड़ी हो सकती है दिक्कत, टेक कंपनियों में होगी कर्मचारियों की भारी छंटनी https://ift.tt/2XWIja9

कोविड-19 का असर अब उन स्टार्टअप कंपनियों के समक्ष दिखना शुरू हो रहा है, जो अभी तक पिछले एक दो महीनों से अपने बिजनेस को आगे चलाने के लिए पॉजिटीव दिख रही थीं। लेकिन इन कंपनियों का मानना है कि अब आगे बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी की जा सकती है।

ओयो जैसी हास्पिटैलिटी स्टार्टअप पर असर

ओयो के सीईओ रोहित कपूर ने बुधवार को टाउन हॉल में अपने कर्मचारियों के साथ मीटिंग में कहा है कि कंपनी थोड़े समय के लिए कुछ कर्मचारियों को बिना वेतन छुट्टी पर भेजने जा रही है। इन कर्मचारियों को चार मई से छुट्टी पर भेजा जा रहा है। बता दें कि देशभर में 3 मई तक लॉकडाउन है। इसलिए कंपनी ने 4 मई से भारतीय कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजने का फैसला किया है।

बिगड़ते हालातों के कारण लिया फैसला

रोहित कपूर ने बताया कि यह हमारे लिए बहुत मुश्किल का समय है। बिगड़ते हालातों के कारण हमें यह फैसला लेना पड़ रहा है। कर्मचारियों को वेतन में 25 फीसदी कटौती का फैसला स्वीकारने के लिए कहा गया है। यह फैसला अप्रैल से जुलाई तक के लिए सभी कर्मचारियों की सैलरी पर लागू होगा। कंपनी की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, कर्मचारियों के मेडिकल इंश्योरेंस और पेरेंटल इंश्योरस समेत अन्य लाभ मिलता रहेगा।

ओला और उबर पर भी होगा असर

ओला कंपनी के फाउंडर रितेश अग्रवाल ने कर्मचारियों को दिए संदेश में कहा है कि पिछले कुछ हफ्तों में हालात काफी खराब हो चुके हैं। उन्होंने कहा है, कि कंपनी की आमदनी और ऑक्यूपेंसी में 50 से 60 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। इसकी वजह से कंपनी की बैलेंस शीट पर दबाव बढ़ रहा है। हाल ही में अग्रवाल ने बताया था कि, कोरोना वायरस का संक्रमण का संकट कंपनी पर ऐसे समय पर आया है, जब कंपनी ने रिस्ट्रक्चरिंग की थी। बता दें, कंपनी ने जनवरी में ही रिस्ट्रक्चरिंग की थी।

एक महीने से होटल और ट्रैवेल इंडस्ट्री पूरी तरह से शटडाउन

बता दें कि 23 मार्च से पूरे देश में होटल और ट्रैवेल इंडस्ट्री पूरी तरह से ठप है जिसका सीधा असर ओला और उबर सहित ओयो, जोमैटो, स्विगी जैसी कंपनियों पर पड़ा है। गौरतलब है कि अगर लॉकडाउन उठता भी है तो सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य नियमों का पालन आगे भी करना होगा। और जिस तरह से लॉकडाउन के समय लोगों को इसकी आदत पड़ी है, ऐसा माना जा रहा है कि आगे यह लंबे समय तक चलनेवाला है और कोई इसमें रिस्क नहीं उठाएगा। कुछ कंपनियां तो अब इस बात पर विचार कर रही हैं कि कुछ कर्मचारियों को घर से ही हमेशा के लिए काम कराया जाए। जबकि सोशल डिस्टेंसिंग के चलते ओला और उबर जैसी कंपनियों को भी आगे चलकर इसका नुकसान उठाना पड़ेगा।

भीड़भाड़ से बचने सोशल डिस्टेंसिंग रहेगी जारी

ज्यादातर कर्मचारी मानते हैं कि वे निजी ट्रैवेल को महत्व देंगे।मुंबई में एक अग्रणी म्यूचुअल फंड कंपनी में वाइस प्रेसीडेंट का कहना है कि वह अभी ऑफिस जाने के लिए एसी लोकल ट्रेन का सहारा लेते थे या फिर 4 लोगों को साथ में लेकर ओला और उबर की सेवा लेते थे। लेकिन अब वे अपनी प्राइवेट कार को ही साधन बनाना चाहते हैं। इस तरह के तमाम लोग हैं जो आगे चलकर सोशल डिस्टेंसिंग और सार्वजनिक जगहों पर समय बिताने जैसी आदतों से बचेंगे।

न तो फंडिंग है न सपोर्ट है, फिर भी सैलरी दे रहे हैं

टेक्नोलॉजी कंपनी जाइस्टर इंफोसर्व के चेयरमैन निकुंज कंपानी कहते हैं कि कोई भी कंपनी यह नहीं चाहेगी कि कंपनी बंद हो और कर्मचारियों को निकाला जाए। लेकिन हालात इस दौर में पहुंच गए हैं, जहां न तो कोई फंडिंग है न कोई सपोर्ट है। सरकार कह रही है कर्मचारियों को सेलरी दें, कंपनी चलाएं। लेकिन अगर बिजनेस बंद है तो यह कैसे संभव है? हमारे पास 600 कर्मचारी हैं और 52 करोड़ की कंपनी है। हम उन कर्मचारियों को पूरी सैलरी दे रहे हैं जो घर से काम कर रहे हैं। लेकिन उनको भी आधी सैलरी दे रहे हैं जो काम नहीं कर रहे हैं।

2-4 महीने लगेंगे फैसले लेने में

कंपानी कहते हैं कि कर्ज पर जो मोराटोरियम है वह अंत में कोई राहत नहीं है। उसे तो ब्याज के साथ चुकाना है। साथ ही फंडिंग मिलना मु्श्किल है। सही तस्वीर अगले 2-4 महीनों में दिखेगी और तब फैसला होगा कि क्या करना है। जो कंपनियां शेयर बाजारों में लिस्टेड नहीं हैं, वे और भी मुश्किल में हैं। वे कहते हैं कि लॉकडाउन से पहले बिजनेस को विस्तार करने के अंतिम चरण में हम थे, लेकिन यह पूरी तरह से ठप हो गया है और निवेश भी फंस गया है। अब जब हालात सुधरेंगे तब इस पर देखा जाएगा।

12 महीनों तक लगातार होगी छंटनी

एक टॉप वेंचर कैपिटलिस्ट और फाउंडर्स के मुताबिक टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स द्वारा अगले 6-8 महीनों में सैकड़ों नौकरियों में कटौती किये जाने की संभावना है, क्योंकि टाइट फंडिंग के बीच डिमांड कम है। जानकर लोगों ने कहा कि छंटनी की शुरुआत अधिकांश रूप से हताश बिक्री (डिस्ट्रेस सेल) और कंपनी बंद होने से हो गई। इंडिया कोशेंट में साझेदार संस्थापक आनंद लूनिया ने कहा, "ज्यादातर कंपनियों ने छंटनी का एक दौर पूरा कर लिया है। हम अगले 12 महीनों के लिए एक सतत छंटनी देखने जा रहे है।

साल के अंत में की जा सकती है छंटनी

इंटरनेट से जुड़े बिज़नेस जैसे कि ओयो, ब्लैकबक, ट्रीबो, एको, फैब होटल, मीशो, शटल, केशिका, निकी.ऐआई, स्विग्गी और फेयरपोर्टल सहित कई कंपनियों ने पिछले एक महीने में अस्थाई कर्मचारियों सहित 30% की औसत कटौती कर दी है। एक क्राउडसोर्स जॉब्स पोर्टल Big.Jobs द्वारा साझा किए गए डेटा के अनुसार ओला, ज़ोमैटो, जूमकार, मेकमायट्रिप, चैपॉइंट, कैशिफाई, लिवस्पेस और शॉपमैटिक जैसी कई अन्य कंपनियों ने 50% तक वेतन कम कर दिया है, जबकि कुछ ने नौकरी के ऑफर वापस ले लिए हैं।

छोटे स्टार्टअप को चपेट में ले लिया है

छंटनी की रफ्तार और तेज होगी

इनवेंटस कैपिटल इंडिया के प्रबंध निदेशक रुत्विक दोशी ने कहा, "छंटनी वर्ष के अंत में रफ्तार पकड़ेगी जब व्यवसाय के मर्जर की बातें शुरू होगी। डेटा से पता चला है कि शुरू में, Covid-19 प्रकोप ने शुरू में छोटे स्टार्टअप को अपनी चपेट में लिया, लेकिन यह अब बड़े व्यवसायों को बुरी प्रभावित करने लगा है। हमने भविष्यवाणी की है कि अगली तिमाही में जबरदस्त उलट पलट होगा होगा, जो आगे चलकर बिजनेस का इकोनॉमिक्स बदल देगा। उन्होंने आगे कहा, "मेरा अनुमान है कि इससे कम से कम 20% और छंटनी हो सकती है। इस प्रकोप से पहले अपने व्यवसाय को वापस स्तर पर ले जाने में दो साल तक लग सकता है।"

600 बिजनेस हाउसों ने घटाई है कर्मचारियों की संख्या

Big.Jobs के अनुसार, सबसे ज्यादा प्रभावित रिटेल, हॉस्पिटैलिटी, ट्रैवल, मोबिलिटी और फाइनेंशियल सर्विसेज होंगे जो महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे और जहां अधिकतम जॉब कट्स देखने को मिलेगा। 600 से अधिक व्यवसायों ने पिछले एक महीने में कर्मचारियों की संख्या घटाई है, जबकि 660 फर्मों ने वेतन में कटौती की है।

10 करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार

"एसएमई क्षेत्र में ब्लू कॉलर नौकरियों पर पिछले दो हफ्तों में सबसे अधिक मार पड़ी है जहां 10 करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हो गए हैं। जॉब्स पोर्टल के सहसंस्थापक हिमांशु गीड ने कहा, सफेदपोश नौकरियों के लिए संकट केवल शुरू हुआ है और फिलहाल यह कुछ क्षेत्रों तक सीमित है। अगले कुछ महीनों में, बड़ी कंपनियों को संभल कर खड़ा होने के लिए उन्हें पुनर्गठन या रिस्ट्रक्चरिंग करनी होगी जिसमें कर्मचारियों की छंटनी का सहारा लेना पड़ सकता है। इसे ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ओर शिफ्ट करके आगे बढ़ाया जाएगा।



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सोशल डिस्टेंसिंग, फंडिग न मिलने जैसे कई कारणों से होगा कंपनियों पर असर

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