सरकार ने शनिवार को कहा कि गैर-आवश्यक वस्तुओं की बिक्री करने वाले ऑफलाइन स्टोरों को संचालन की अनुमति मिलने के बावजूद फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर सिर्फ आवश्यक वस्तु बेचने की अनुमति रहेगी। गृह मंत्रालय ने एक स्पष्टीकरण में यह बात कही। शुक्रवार रात को जारी एक दिशानिर्देश में मंत्रालय ने सभी प्रकार के फिजिकल स्टोरों को सामान बेचने की अनुमति दे दी। हालांकि शहर के अंदर या बाहर स्थित माल में चल रहे फिजिकल स्टोरों को यह अनुमति नहीं दी गई।
शराब की बिक्री पर भी पाबंदी रहेगी
शनिवार को गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि ई-कॉमर्स कंपनियों को सिर्फ आवश्यक वस्तुओं की बिक्री करने की ही इजाजत रहेगी। बयान में आगे कहा गया कि शराब व अन्य उत्पादों की बिक्री पर पाबंदी जारी रहेगी। इकॉनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेजन ने इस बीच एक बयान जारी कर कहा कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को सभी उत्पाद बेचने की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि वे सोशल डिस्टेंसिंग की नीति का पालन करते हुए सबसे सुरक्षित तरीके से उपभोक्ताओं की सामान पहुंचा सकते हैं
ई-कॉमर्स कंपनियों ने कहा, ऑनलाइन व ऑफलाइन कॉमर्स के बीच असमानता पैदा होगी
ऑनलाइन रिटेल कंपनियों के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि सरकार के इस फैसले से देश में ऑनलाइन और ऑफलाइन कॉमर्स के बीच काम करने की परिस्थितियों में असमानता पैदा होगी। उधर फ्लिपकार्ट ने कहा कि उपभोक्ताओं तक ऐसे सामान पहुंचाने की जरूरत है, जिससे उन्हें घर से काम करने, एक-दूसरे के संपर्क में बने रहने और गर्मियों के दिनों की जरूरत पूरी करने में मदद मिले। फ्लिपकार्ट के प्रवक्ता ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान उपभोक्ताओं ने काफी संयम दिखाया है, लेकिन उनकी मांग को पूरा किए जाने की जरूरत है। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के जरिये गैर-आवश्यक श्रेणी की वस्तुओं की बिक्री को धीरे-धीरे खोले जाने से उपभोक्ताओं की जरूरत पूरी करने में मदद मिल सकेगी।
ऑफलाइन ट्रेड एसोसिएशंस ने कहा, इससे ऑफलाइन व ऑनलाइन कारोबार के बीच समान अवसर का माहौल बनेगा
ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए यह दूसरा बड़ा धक्का है। इससे पहले गृह मंत्रालय ने 15 अप्रैल के एक आदेश को प्रभावी होने से एक दिन पहले पलट दिया था। 15 अप्रैल के आदेश में ई-कॉमर्स कंपनियों को सभी प्रकार के उत्पाद बेचने की अनुमति दी गई थी। कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्र्रेडर्स (सीएआईटी) और स्वदेशी जागरण मंच जैसे ऑफलाइन ट्रेड एसोसिएशंस ने सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा था कि इससे ऑफलाइन व ऑनलाइन कारोबार के बीच समान अवसर का माहौल बनेगा।
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