कोविड-19 के चलते भारतीय स्टार्ट-अप्स को इस महीने पैसा जुटाना मुश्किल हो सकता है। अमेरिका के सिकोइया और एस्सेल सहित कुछ टॉप वेंचर्स फर्म ने चेतावनी दी है कि किसी को भी बहुत जल्दीपैसा मिलना मुश्किल है। पिछले साल स्टार्ट-अप्स कंपनियों ने 14.9 अरब डॉलर का फंड जुटाने में सफलता हासिल की थी।
व्यापार को नए सिरेसे शुरू करने की जरूरत
पांच वेंचर कैपिटलिस्ट नेबताया कि केवल अपने मौजूदा विभागों से सबसे अच्छी कंपनियों में से कुछ को आगे पैसे प्राप्त करने में सफलता मिलेगी। इस तेजी से बदलाव ने कई भारतीय स्टार्ट-अप्स को फंड रेजिंग करने व अपने बिजनेस का विस्तार करने के लिए हर संभव तरीके ढूंढने के लिए मजबूर कर दिया है। बंगलुरू के 36 साल पुराने उद्यमी समिक सरकार कोविड-19 संकट से पहले ही अपने ऑनलाइन अपैरल स्टोर से लाभ पाने का प्रबंधन कर रहे थे। पर अब उन्हें अपने व्यापार को नए सिरे से शुरू करना पड़ रहा है।
वेंचर कैपिटल और प्राइवेट इक्विटी निवेश में आएगी गिरावट
सरकार ने कहा कि मैंने मास्क बेचना शुरू किया। क्योंकि मैं यही कर सकता था और मुझे लोगों को सैलरी भी देनी है। तेज वैश्विक आर्थिक मंदी, भारत में 1.3 अरब लोगों की जनसंख्या पर लॉकडाउन और वेंचर कैपिटल के पलायन जैसे मुद्दे अब जिस स्टार्ट-अप कम्युनिटी का टेस्टिंग कर रहे हैं, अब वह जल्दी से दुनिया का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। 2018 में वॉलमार्ट को 16 अरब डॉलर के लिए बेची गई भारतीय ई-टेलर फ्लिपकार्ट की सफलता ने ग्लोबल वेंचर कैपिटल फर्म से अरबों डॉलर की फंडिंग जुटाने में सफलता हासिल की। लेकिन कुछ ही महीनों में सारा कैश गायब हो गया। अर्नेस्ट एंड यंग का अनुमान है कि इस साल भारत में वेंचर कैपिटल और प्राइवेट इक्विटी के निवेश में 45 से 60 प्रतिशत की गिरावट की उम्मीद है।
कोविड-19 के बाद आधे बिजनेस नहीं बचेंगे
Tracxn की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साल 2019 में 1406 स्टार्ट-अप्स कंपनियों को फंडिंग होती थी। साल 2008 में यह संख्या महज 351 थी । बेंगलुरु स्थित वेंचर कैपिटल फर्म चिराटी वेंचर्स के संस्थापक और अध्यक्ष सुधीर सेठी ने कहा, जब आप प्री-कोविड बिजनेस मॉडल्स को देखेंगे तो उनमें से आधे पोस्ट-कोविड से बच नहीं पाएंगे। अप्रैल में भारत द्वारा उठाए गए कदम, जिसमे विदेशों से निवेश की जांच की बात कही गई है, से फंडिंग फ्रीज बढ़ गया है। यह कदम चीनी कंपनियों की विस्तारवादी नीति को कंट्रोल करने के लिए उठाया गया है।
जापान का सॉफ्टबैंक भी फंड देने में नहीं दिखा रहा है दिलचस्पी
जापानी टेक्नोलॉजी को सपोर्ट करने वाला सॉफ्टबैंक भी अब भारतीय स्टार्ट-अप्स सबके लिएफंडिंग नहीं सोच रहा है। क्योंकि हाल के दिनों मेंइसे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। मुंबई स्थित लाइटबॉक्स वेंचर्स के पार्टनर सिड तलवार ने कहा कि इससे लाभप्रदता बनाए रखने के लिए निवेशकों और स्टार्ट-अप्स के पास सीमित विकल्प बचे हैं। स्टार्ट-अप्स से संपर्क किये जाने पर संस्थापकों ने कहा कि उनके पास कुछ एक महीनों के लिए पर्याप्त नकदी बची हुई है।
सब कुछ ठहर गया, बहुत बड़ा झटका है
अपनी बहन तनिया के साथ मुंबई स्थित ऑनलाइन क्लोथिंग ब्रांड सुता की को फाउंडर सुजाता बिस्वास ने कहा कि इस संकट से ठीक पहले हमारे पास बड़े विस्तार की योजनाएं थीं। उन्होंने कहा कि अब सब कुछ ठहर गया है। यह एक बहुत बड़ा झटका है। बिस्वास ने कहा, सुता ने लॉकडाउन से पहले तीन साल तक तिगुनी बिक्री देखी थी। अब सभी कारोबार बंद कर दिया।उन्होंने यह भी कहा कि बिना कुछ नगदी मिले सिर्फ डेढ़ महीने तक कामकाज का गुजारा हो सकता है।
क्योर ने भारत में अपने जिम को बंद किया
बेंगलुरु स्थित एक फिटनेस फर्म Cure.fit, ने भी भारत में अपने जिम और हेल्थ क्लीनिक को बंद कर दिया। साथ ही सैलरी भी घटा दिया है। हाल के हफ्तों में लगभग 800 लोगों की छुट्टी कर दी है। अब जबकि लॉक डाउन के दौरान लोग घरों में बंद हैं, यह फार्म वर्चुअल योगा क्लासेस करा रहा है और ग्रोसरीज की होम डिलीवरी में जुट गया है। ऑनलाइन टिकट सेलर बुक माई शो अब अपने यूजर्स को व्यस्त रखने के लिए इंस्टाग्राम पर मुफ्त के कंटेंट लाइव कर रहा है।
जोमैटो ने शराब की डिलीवरी शुरू की
घर-घर फूड डिलीवरी करने वाले जोमैटो ने अब शराब की डिलीवरी करनी शुरू कर दी है। इसी तरह स्विगी और होटल ऑपरेटर ओयो और ट्रीबो ने अपने यहां कर्मचारियों की या तो छुट्टी कर दी है या फिर उनकी सैलरी में कटौती कर दी है या फिर उन्हें लंबी छुट्टियों पर भेज दिया है। अपैरल रिटेलर सरकार ने बताया कि लॉकडाउन हफ्ते के बाद भी जब उनका ऑनलाइन स्टोर खुलेगा तो डिमांड में 50 प्रतिशत की कमी आएगी। उनके पास 35 से 40 फुल टाइम कामगार हैं। 70 कामगार पार्ट टाइम हैं। उनके पास सिर्फ एक या ज्यादा से ज्यादा 2 महीने का गुजारा करने के लिए कैश बचा है। सरकार ने कहा कि अब इन हालातों के मद्देनजर हम नए तौर-तरीकों पर विचार कर रहे हैं। अब हम सोच रहे हैं की फैशन की आवश्यकता के अनुरूप मास्क के बाजार में उतरा जाए।
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