वैश्विक स्तर पर फैले कोरोना का जापान पर बेहद बुरा असर पड़ा है। जापान मंदी की चपेट में आ गया है। अप्रैल 2020 में जापान का निर्यात 22 गिर गया है। निर्यात में यह एक दशक की सबसे बड़ी गिरावट है। जापान के वित्त मंत्रालय मे गुरुवार को कहा कि समान अवधि में आयात में भी 7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
2008 के वित्तीय संकट से ज्यादा खराब हालात
जापान के वित्त मंत्रालय का कहना है कि निर्यात क्षेत्र में 2008 के वित्तीय संकट से भी ज्यादा खराब हालात हैं। जापान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से निर्यात पर निर्भर है और वह कोविड-19 के हेल्थ रिस्क के साथ अर्थव्यवस्था को चालू रखने के लिए संघर्ष कर रहा है। अन्य देशों की तरह जापान ने भी कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए से घरों से काम करने को कहा है। साथ ही लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की अपील की है। हालांकि, सरकार ने बिना इंफेक्शन और लो इंफेक्शन वाले क्षेत्रों को खोलने की पहल की है। हालांकि, टोक्यो और कुछ अन्य क्षेत्र अभी इससे दूर हैं।
अप्रैल में 5.2 ट्रिलियन येन का निर्यात
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2020 में जापान का कुल निर्यात 5.2 ट्रिलियन येन (करीब 48 बिलियन डॉलर) रहा है जो 2019 के समान महीने के 6.7 ट्रिलियन येन के मुकाबले कम है। इसी प्रकार से आयात 2019 के 6.6 ट्रिलियन येन के मुकाबले इस बार घटकर 6.1 ट्रिलियन येन पर आ गया है। जापान से अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका, रूस, ईरान, ईटली और चीन को होने वाला निर्यात सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है।
इन सेक्टर्स का निर्यात घटा
- वाहन
- मशीनरी
- कैमिकल
- टैक्सटाइल्स
इन सेक्टर्स का आयात घटा
- आयरन एंड स्टील उत्पाद
- अनाज और मछली जैसे खाद्य उत्पाद
- कम्प्यूटर पार्ट्स
तकनीकी तौर पर मंदी की चपेट में है जापान
पिछले साल की आखिरी तिमाही में संकुचन के बाद से जापान तकनीकी मंदी की चपेट में है। एनालिस्टों का कहना है कि कोरोना का आर्थिक असर लंबा रहता है तो हालात और ज्यादा खराब हो सकते हैं। पर्यटन और ट्रैवल घट गया है। रेस्टोरेंट्स बंद पड़े हैं। जो खुल रहे हैं उनमें ग्राहकों की संख्या ना के बराबर है। इसके अलावा अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापारिक विवाद से भी जापान पर असर पड़ रहा है।
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