दो दिन पहले ऐसी खबर आई थी कि टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने मुंबई स्थित 'जेनेरिक आधार' फार्मेसी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ली है। कंपनी के फाउंडर अर्जुन देशपांडे ने इस डील की पुष्टि की थी, लेकिन डील की कीमत बताने से इनकार कर दिया है। ऐसे में अब रतन टाटा ने ट्वीट करके पुष्टि की है कि उन्होंने कंपनी के 50 प्रतिशत हिस्सेदारी नहीं खरीदी है। बल्कि छोटा सा इनवेस्टमेंट किया है।
रतन टाटा का ट्वीट
कई स्टार्टअप में निवेश कर चुके रतन टाटा
पहले ऐसी खबर थी कि रतन टाटा ने इस कंपनी में निजी तौर पर निवेश किया है। ये टाटा ग्रुप से जुड़ा नहीं है। रतन टाटा ने पहले भी ऐसे कई स्टार्टअप में निवेश किया है, जिसमें ओला, पेटीएम, स्नैपडील, क्योरफिट, अर्बन लैडर, लेंसकार्ट और लाइब्रेट शामिल हैं।
रिटेलर्स को 20% तक मुनाफा
देशपांडे ने जेनेरिक आधार कंपनी की शुरुआत दो साल पहले की थी। तब वे महज 16 साल के थे। अब उनकी कंपनी हर साल 6 करोड़ रुपए के रेवेन्यू का दावा करती है। ये स्टार्टअप यूनिक फार्मेसी-एग्रीगेटर बिजनेस मॉडल को फॉलो करता है। उसने मैन्युफैक्चरर्स को डायरेक्ट सोर्स बनाया है और रिटेल फार्मेसी तक जेनेरिक दवाओं को बेचती है। इससे रिटेल फार्मेस के 16-20 प्रतिशत मार्जिन बच जाता है, जो थोक व्याापरी कमाते हैं।
देशपांडे ने कहा, "एक साल के अंदर जेनेरिक आधार के तहत 1,000 छोटे फ्रेंचाइजी मेडिकल स्टोर खोलने की योजना है। ये महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली तक फैला हुआ है।"
कंपनी मुख्य रूप से डायबिटीज और हाइपरटेंशन की दवाओं की आपूर्ति करती है, लेकिन जल्द ही बाजार मूल्य से बहुत कम दरों पर कैंसर की दवाओं की पेशकश शुरू कर देगी। इसके लिए पालघर, अहमदाबाद, पांडिचेरी और नागपुर में चार डब्ल्यूएचओ-जीएमपी प्रमाणित निर्माताओं के साथ टाइअप है। हिमाचल प्रदेश के बद्दी में एक निर्माता से कैंसर की दवाओं की खरीद की जाएगी।
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