देश के म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के लिए जबरदस्त झटका है। करीबन 5,000 वितरकों यानी डिस्ट्रीब्यूटर्स ने अपने रजिस्ट्रेशन का रिन्यूअल नहीं कराया है। यह जानकारी म्युचुअल फंड की संस्था एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एंफी) ने दी है। इस इंडस्ट्री में वैसे ही पहले से वितरकों की संख्या काफी कम है।
2019-20 में 8,600 वितरकों ने किया था रजिस्ट्रेशन
आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 में म्युचुअल फंड वितरण के लिए कुल 8,600 वितरकों ने अपना रजिस्ट्रेशन किया था। जबकि इसी दौरान 5,100 वितरकों ने अपना रजिस्ट्रेशन रिन्यूअल नहीं कराया है। इसी तरह 2018-91 में भी 8,600 वितरकों ने नया रजिस्ट्रेशन किया था। जबकि 2017-18 में 17,600 वितरक नए रजिस्ट्रेशन किए थे।
कमीशन कम होने से घट रही है वितरकों की संख्या
विश्लेषकों के मुताबिक शेयर बाजार में अस्थिरता के कारण म्युचुअल फंड वितरक घट रहे हैं। साथ ही बीमा और अन्य वित्तीय उत्पादनों के वितरण व्यवसाय की तुलना में म्युचुअल फंड में वितरकों का आकर्षण काफी कम हुआ है। हाल के समय में म्युचुअल फंड के मैनेजमेंट खर्च पर सेबी ने एक सीमा लगा दी है। इससे फंड वितरकों को मिलनेवाले कमीशन में भारी कमी आई है।
2025 तक 100 लाख करोड़ की होगी इंडस्ट्री
वितरकों की संख्या में आ रही गिरावट से फंड उद्योग पर बुरा असर होगा। सितंबर 2019 में एंफी ने बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के सहयोग से तैयार की गई रिपोर्ट में बताया था कि 2025 तक फंड उद्योग का एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 22 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 100 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा। लेकिन इसके लिए 4 लाख नए वितरक तैयार करने होंगे। हालांकि 4 लाख की तुलना में अभी तक 10 प्रतिशत भी नए वितरक नहीं जुड़े हैं। जबकि हर साल वितरक नया रजिस्ट्रेशन भी नहीं करा रहे हैं।
44 म्युचुअल फंड कंपनियां हैं सक्रिय
बता दें कि देश में कुल 44 म्युचुअल फंड कंपनियों के पास 25 लाख करोड़ रुपए का एयूएम है। एयूएम यानी निवेशकों की ओर से आई राशि, जिसे म्युचुअल फंड कंपनियां निवेश करती हैं। हालांकि हाल में डेट और इक्विटी दोनों में फंड निवेशकों को अच्छा अनुभव नहीं हुआ है। देश में कुछ फंड वितरकों की संख्या वैसे तो 80 हजार है, लेकिन सक्रिय रूप से इनकी संख्या 25 हजार भी नहीं है।
इसका एक कारण यह है कि म्युचुअल फंड में कमीशन 2.50बीपीएस से अधिक नहीं मिलता है और यह भी सालाना होता है। जबकि बीमा और बैंकिंग जैसे सेक्टर में कमीशन 20 प्रतिशत तक मिलता है। ऐसे में म्युचुअल फंड की तुलना में वितरक बीमा और बैंकिंग में ज्यादा जाते हैं।
बी-15 शहर में थोड़ा ज्यादा कमीशन मिलता है
सेबी ने कमीशन को लेकर जो सीमा लगाई है, उससे फंड वितरकों को यह उत्पाद बेचने में दिलचस्पी नहीं है। हालांकि बी 15 शहरों (यानी बी स्तर के जो 15 शहर हैं, उनसे आगे के शहर) में थोड़ा कमीशन ज्यादा है, लेकिन दिक्कत यह है कि म्युचुअल फंड बीमा और बैकिंग की तरह उतना प्रसिद्ध भी नहीं है। यही कारण है कि यह उद्योग अभी भी सही तरीके से नहीं फैल पा रहा है।
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