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Monday, May 25, 2020

खुदरा व्यापारियों को 60 दिन में 9 लाख करोड़ रुपए का हुआ नुकसान, कोरोना को लेकर डर बन रहा है मुसीबत https://ift.tt/2X0FjJ9

देश में लागू लॉकडाउन के चलते पिछले दो माह में खुदरा कारोबारियों को करीब 9 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है कि कारोबार में छूट मिलने के बावजूद कारोबारियों को नुकसान झेलना पड़ा है। कैट ने कहा कि घरेलू व्यापार इस समय अपने सबसे खराब समय का सामना कर रहा है, लॉकडाउन में ढील के बाद से देशभर में दुकानों खुली हैं, उनमें केवल 5 प्रतिशत व्यापार ही हुआ है और केवल 8 प्रतिशत कर्मचारी ही दुकानों पर आए हैं।

1.5 लाख करोड़ के जीएसटी राजस्व का नुकसान भी

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बयान में कहा है कि पिछले 60 दिनों से जारी देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान घरेलू व्यापार में लगभग 9 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। केंद्र एवं राज्य सरकारों को 1.5 लाख करोड़ के जीएसटी राजस्व का नुकसान हुआ है। बता दें कि देश का खुदरा व्यापार क्षेत्र लगभग 7 करोड़ व्यापारियों द्वारा संचालित होता है, जो 40 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करता है। इस क्षेत्र में लगभग 50 लाख करोड़ रुपए का सालाना कारोबार होता है।

लगभग 20 फीसदी कर्मचारी जो स्थानीय निवासी हैं

कैट ने कहा कि देशभर के कारोबारियों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है और सरकार की ओर से कोई नीतिगत समर्थन के अभाव में व्यापारी अपने व्यवसाय के भविष्य को लेकर सबसे अधिक चिंतित हैं। खुदरा व्यापार में काम कर रहे लगभग 80 फीसदी कर्मचारी अपने मूल गांवों में चले गए, जबकि लगभग 20 फीसदी कर्मचारी जो स्थानीय निवासी हैं, वे भी वापस काम पर लौटने में ज्यादा इच्छुक नहीं है। दूसरी तरफ कोरोना के डर के कारण ग्राहक भी काफी कम आ रहे हैं।

अेकेले दिल्ली में 30 मजदूर व्यापार जगत से जुड़े थे

प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि राजधानी में लगभग 30 लाख मजदूर व्यापार जगत से जुड़े थे। ये अधिकतर दिल्ली में प्रवासी मजदूर थे। इन मजदूरों में से लगभग 26 लाख मजदूर पलायन कर चुके हैं। वहीं, दूसरी ओर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में ग़ाज़ियाबाद, नॉएडा,फरीदाबाद, गुरुग्राम, बल्लबगढ़, सोनीपत आदि से लगभग 4 लाख मजदूर प्रतिदिन दिल्ली आते हैं जो वर्तमान में राज्यों के बॉर्डर पर प्रतिबन्ध होने के कारण दिल्ली नहीं आ पा रहे हैं।



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खुदरा व्यापार में काम कर रहे लगभग 80 फीसदी कर्मचारी अपने मूल गांवों में चले गए, जबकि लगभग 20 फीसदी कर्मचारी जो स्थानीय निवासी हैं, वे भी वापस काम पर लौटने में ज्यादा इच्छुक नहीं है

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