आज टाटा ग्रुप एयर इंडिया का अधिग्रहण कर रहा है। टाटा ग्रुप की एयर इंडिया को लेकर कई योजनाएं हैं। इस बीच टाटा ने किसी भी कर्मचारी को तुरंत न निकालने का भी निर्णय लिया। इसके साथ ही उनके प्रदर्शन के आधार पर उन्हें उचित स्थान देने का भी निर्णय लिया। शायद ये बात कुछ ही लोग ही जानते होंगे कि टाटा ग्रुप अपनी कमाई के साथ-साथ अपने कर्मचारियों का खास ख्याल रखता है। रतन टाटा का मानना है कि मुनाफा कमाना गलत नहीं है नैतिकता नहीं भुलनी चाहिए। एयर इंडिया के कर्मचारियों को भी टाटा ग्रुप ने अधिग्रहण करने बाद बरकरार रखने का निर्णय लिया है। इसके कई उदाहरण हैं, परंतु आज हम केवल उन बड़े मुद्दों पर नजर डालेंगे जब देश की जनता ने रतन टाटा के मदद करने की हद को पार करते हुए देखा।
कोरोना के समय कर्मचारियों के लिए टाटा ने की मदद
-टाटा ग्रुप ने कोरोना से जान गंवाने वाले अपने कर्मचारियों के परिजनों को सभी मेडिकल लाभ और हाउज़िंग सुविधाएं जारी रखने का निर्णय लिया।
-जिन कर्मचारियों की कोरोना के कारण मौत हुई उन कर्मचारियों के परिवावालों को टाटा स्टील द्वारा 60 साल तक पूरी सैलरी भी दी जाएगी।
-इसके साथ मृतक कर्मचारी के के बच्चों की ग्रेजुएशन पूरी होने तक भारत में पढ़ाई लिखाई का पूरा खर्चा टाटा स्टील उठाया रहा है।
जब ताज होटल पर हुआ था हमला
इस होटल के मालिक टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा हैं। जब इस होटल पर आतंकवादियों ने हमला किया था होटल के कर्मचारियों ने भी असाधारण धैर्य दिखाया था। हमारे NSG और पुलिस के जवानों ने बहादुरी से आतंकवादियों का मुकाबला कर उन्हें मार गिराया था।
-इस हमले के दौरान जितने भी कर्मचारी काम पर थे उन सभी को 'ऑन ड्यूटी' के अनुसार रतन टाटा ने वेतन दिया था।
-होटल के जितने कर्मचारी आतंकवादी हमले में घायल हुए थे उन सभी का इलाज टाटा ग्रुप ने करवाया।
-आतंकवादी हमले के बाद जब तक होटल बंद रहा सभी कर्मचारियों को वेतन मनीऑर्डर से उनके घरों तक पहुंचाया गया।
-इस हमले में मारे गए 46 कर्मचारियों के बच्चों को टाटा संस्थानों में आजीवन मुफ़्त शिक्षा की व्यवस्था की गई।
-होटल के जो भी कर्मचारी आतंकवादी हमले में मारे गए थे उनके ओहदे के अनुसार टाटा ग्रुप ने तुरंत 36-85 लाख रुपए का भुगतान किया था।
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